तुम्हारी सादगी ने मुझसे
कुछ सवाल कर दिया
तुम्हारी खुली जुल्फों ने
मुझे बेहाल कर दिया..
नजरें झुकाकर चलती हो
जब नूर ही नूर नज़र आता है ,, सादगी से भरा चेहरा
मुझे घायल कर जाता है..
हमसे पूछेगा कोई की खूबसूरती क्या?होती है
बता दूंगा मैं सबको की
तुम्हारी सादगी में ही
सबसे बड़ी खूबसूरती होती है..
जब भी हमने तुम्हारी नजरों को चुराना चाहा
तुम्हारी सादगी ने मुझे
तुम्हारा दीवाना बना डाला
क्या खूबसूरत अदा है तुम्हारी इस सादगी में
हमें तो बस उनका कायल
बना डाला..
घायल हो गया हूँ इस कदर
तुम्हारी इस सादगी से ,,
सोचता हूँ जन्नत वहां नही है जन्नत है यहीं तुम्हारी इस
सादगी में कहीं!!
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स्वरचित स्वैच्छिक
सरिता मिश्रा पाठक "काव्यांशा