हर दिन इक किताब का नया अध्याय है जिंदगी
हर नये पुराने हालातों का
हिसाब है जिंदगी
कभी बंद पन्नें तो कभी खुले पन्नों का जवाब है जिन्दगी
खुशी के पल गमों का दर्द
हौंसलों की उड़ान है जिंदगी
अपनों से जुड़ाव इक नई पहचान है जिंदगी
हर नया अवसर नई तलाश है जिंदगी
तपती धूप और छांव है जिंदगी बारिश की बूंद और वसंत बहार है जिंदगी..✍️
स्वरचित (स्वैच्छिक) मौलिक
सरिता मिश्रा पाठक "काव्यांशा