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सामजस्य

27 मई 2022

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टूट गयीं कच्ची दीवारें बन

गये पक्के मकान पर

परिवारों में सामजस्य नही हो रहें हैं पृथक सभी..

अब नही रहा अपनापन न  रहा वो पहले जैसा प्यार

एक ही माता-पिता की संतानों में बदल रहें हैं विचार नही रहा अब वो सामजस्य जो होता था दो भाई-भाई बहन-भाई

के बीच ,,

खो गयीं वो गलियां जहां पर चलते थे एक साथ

छत की दीवारें भी अब ढूंढती हैं उस सामजस्य को

जो होता था कभी अब पड़ती जा रही हैं दरारें..

मेल-मिलाप खत्म हो रहा है तालमेल भी कहीं खो रहा है

बे रौनक हो रही है ये जिंदगी क्योंकि अब नही हो पा रहा है सामजस्य !!

मुंबई महाराष्ट्र

सरिता मिश्रा पाठक "काव्यांशा

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रचनाएँ
काव्य सरिता
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आप मेरी इस काव्य सरिता में विभिन्न प्रकार की कविताओं का पाठन कर पाएंगे। मैंने इसमें हर तरह की कविताओं को लिखा है और हर विषय का ध्यान रखते हुऐ रचनाएं की हैं। आशा करती हूं कि आपको मेरी इन कविताओं को पढ़ने में कोई कठिनाई नहीं होगी और यह अच्छी लगेंगी। पाठकों आप मेरी कविताओं को पढ़िए और पुनः मैं अपनी दूसरी किताब में अपनी कविताओं को आपके समक्ष प्रस्तुत करूंगी। धन्यवाद आपका !आभार प्रकट करती हूं आप सभी का।।
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प्रकृति

27 मई 2022
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बचपन में मैंने इक बंज़र धरती पर पौधा बोया था  धरती मां से पेड़ बड़ा होने को हमनें बोला था ,, बंजर मिट्टी में इक अंकुर था फूटा भरकर पानी बरगद़ के पत्तों में मैंनें अंकुर को सींचा ,, तब जाकर डाली निकल

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सामजस्य

27 मई 2022
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टूट गयीं कच्ची दीवारें बन गये पक्के मकान पर परिवारों में सामजस्य नही हो रहें हैं पृथक सभी.. अब नही रहा अपनापन न  रहा वो पहले जैसा प्यार एक ही माता-पिता की संतानों में बदल रहें हैं विचार नही रहा अ

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भरोसा

27 मई 2022
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आशा और विश्वास पर है सारी दुनियां टिकी करो  भरोसा उसी का जो है तुम्हारे लिए सबसे सही.. हो चाहे सूरज की पहली किरण या अंधियारी उजियारी रात शून्यता हो या हो फिर कोई बड़ी आश चांद ने भी खींच लिए अपने हां

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बारिश की बूंदे

27 मई 2022
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बारिश की बूंदों को जरा जुल्फों पर गिरनें दो थोड़ी ध्वनि थोड़ी लोरी गाने दो बारिश की बूंदों को अपनी कशिश बताने दो बारिश की बूंदों से मिट्टी को भीग कर फिजां में खुशबू फैलाने दो न रोको न टोको न कुछ कहो

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वियोग

27 मई 2022
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वियोग श्रीराम को सीता से ही नही श्रीकृष्ण को राधा से ही नही ,, शिव जी को भी सती से हुआ था नेत्रों से अश्रु धारा बह रही थी हृदय भी असीम दु:खी हुआ था मच रही थी तीनों लोक हाहाकार प्रकृति भी खूब रोई थी

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मासिक धर्म

27 मई 2022
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ये जो लाल रक्त का श्राव है  इसी के हर कतरे से हुआ तुम्हारा निर्माण है अपवित्र होकर तुम्हें पवित्रता का हक दिलाती हूं ये पांच दिन का पर्व है जो हर नारी मनाती है असहनीय पीड़ा सहकर भी तुम सबकी मुस्कान

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सादगी

27 मई 2022
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तुम्हारी सादगी ने मुझसे कुछ सवाल कर दिया तुम्हारी खुली जुल्फों ने मुझे बेहाल कर दिया.. नजरें झुकाकर चलती हो जब नूर ही नूर नज़र आता है ,, सादगी से भरा चेहरा मुझे घायल कर जाता है.. हमसे पूछेगा कोई की

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प्रेम

27 मई 2022
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हो हृदय में अनुराग इतना न रहे कोई बैर ईष्या हो बस पेम की बरसात ,, छट जाये नफरतों का अंधेरा.. प्रेम अनुराग से भरा हो हर हृदय न रहे कभी कोई खाली मन ,, खिल उठे हर मन का चमन बस पेम की पुष्पांजली हो सुगं

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हमदर्द

27 मई 2022
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मैं तेरे दर्द की हमदर्द बन जाऊं तुम बता दो मैं तुम्हारे  खयालों में बस जाऊं ,, तुम कहो तो एक सच्चा एहसास बनकर ख्वाबों में सांसों में समा जाऊं बस तुम मुझे अपने दिल में बसा लो मैं तेरी धड़कन बन जाऊं ,

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धोखा

27 मई 2022
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धोखा भी उन्ही से मिलता है जिससे उम्मीद होती है ,, क्योंकि अक्सर हमने खूबसूरत लोगों में खोट निकलते देखा है ,, मौके पे जो बोलते हैं करो हमपे भरोसा नही टूटने देंगे उम्मीद कोई ,, अक्सर उन्ही से मिलता है

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शांति

27 मई 2022
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शांति ख़ोज रहा है भटक है मन अपने ही अंदर खोजो शांति वहीं टिकेगा मन!! धरती की किस छोर पर मिलेगी शांति इसी सोच में भटक रहा था मन.. समुद्र की गहराइयों में झील की शालीनताओं में पहाड़ों की ऊंचाईयों में ख

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अरमान

27 मई 2022
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थोड़ी सी जिंदगी है अरमान बहुत हैं हमदर्द कोई नहीं इंसान तो बहुत हैं ,, दिल में जो दर्द हैं वो सुनाये किसको जो दिल के करीब हैं वो तो अंजान बहुत हैं अभी तो अरमान बाकी थे दिल में बहुत मुझे आजमा रहे थे

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सुबह

27 मई 2022
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सुलग-सुलग गयी रात जब नींद आयी तो सुबह हो गयी बीत गयी रैना नींद नही आयी ,, जब आंखों में नींद आयी तो सुबह हो गयी.. जागती नही सुबह सबकी तरह एक निश्चित समय पर बैठ कर बिताती हूं सारी रात ,, कुछ लिखती हूं

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आदि शक्ति

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आदि शक्ति   जगदम्बे करुणा मयी मां अम्बे तिमिर हटा दो सारे जग के कष्ट मिटा दो जीवन के सारे ,, महिमा बड़ी ही न्यारी ,, छवि है मनमोहक प्यारी आदि शक्ति जगदम्बे करुणा मयी मां अम्बे भूले भटको को रा

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प्रयत्न

27 मई 2022
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प्रयत्न करो यदि न मिले सफलता तो न होना उदास न होना हतास कभी.. बढ़ाते रहना अपने कदम उस तरफ़ जो सच्चाई की और जाता हो मार्ग.. भाग्य पर रोने से नही मिलता है कुछ ,,प्रयत्न करने से ही मिलता है सबकुछ.. इक

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दिल

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दिल तो टूट गया है तेरी बेवफाई से पहले हां करके आया मेरे दिल में फिर न करके टुकड़े कर दिए मेरे दिल के.. जख्मी हो गया है दिल मेरा जब मगरुर हो गयी तेरी सांसे ,, न पूंछ मेरे दिल का हाल तूने ही तोड़ा है म

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मां

27 मई 2022
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मां तुम देवी थी ममता की थी मूरत लाखों चराग जला कर ढूंढती फिर भी नही  मिलती तुम मेरी मां और न ही तुम्हारी ममता या प्यार मां मुझे हंसते हुए देख जब तुम मुस्कुराती थी जब रोता हुआ देख तुम उदास हो जाती थी

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जिंदगी

27 मई 2022
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हर दिन इक किताब का नया अध्याय है जिंदगी हर नये‌ पुराने हालातों का हिसाब है जिंदगी कभी बंद पन्नें तो कभी खुले पन्नों का जवाब है जिन्दगी खुशी के पल गमों का दर्द हौंसलों की उड़ान है जिंदगी अपनों‌ से ज

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अंजानी उलझनें

27 मई 2022
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कुछ उलझने थी जो सुलझा रही थी कुछ बातें हैं जो खुद को बता‌ रही थी कुछ कर्त्तव्य हैं जो निभा रही थी.. कुछ अपने पराये भेद को समझ और समझा रही थी कुछ निराशाओं को मन से हटा रही थी ,, कुछ आशाओं के दीप

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परिवार

27 मई 2022
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रिश्तों की अनमोल डोर होता है परिवार ,, मिलजुलकर जहां रहते हैं सभी प्रेम से वही होता है परिवार.. दादा-दादी नाना-नानी मामा-मामी चाचा-चाची सबका होता है सहयोग और प्यार इसको ही कहते हैं परिवार ,, आजकल सब

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