मैं तेरे दर्द की हमदर्द बन
जाऊं तुम बता दो मैं तुम्हारे
खयालों में बस जाऊं ,,
तुम कहो तो एक सच्चा
एहसास बनकर ख्वाबों
में सांसों में समा जाऊं
बस तुम मुझे अपने दिल
में बसा लो मैं तेरी धड़कन
बन जाऊं ,,
तुम मुझे अपने दिल में छुपा लो मैं तेरा हर राज
बन जाऊं ,,
तुमको मुझसे प्यार है मैं
तेरी चाहत बन जाऊं
तुम मेरे हांथों को थाम लो
मैं तेरी हमसफर बन जाऊं
तुम मेरे सागर बन जाओ
मैं तेरी लहर बन जाऊं
तुम मेरे मीत बन जाओ
मैं तेरी ज़िंदगी बन जाऊं
मैं हर दर्द की हमदर्द बन
जाऊं बस ये प्यार न रुके
मैं तेरे प्यार की प्यार बन
जाऊं!!
स्वरचित स्वैच्छिक
सरिता मिश्रा पाठक "काव्यांशा