आदि शक्ति जगदम्बे
करुणा मयी मां अम्बे
तिमिर हटा दो सारे जग
के कष्ट मिटा दो जीवन
के सारे ,,
महिमा बड़ी ही न्यारी ,,
छवि है मनमोहक प्यारी
आदि शक्ति जगदम्बे
करुणा मयी मां अम्बे
भूले भटको को राह
दिखा दो ,, बिछड़ गये
जो उन्हें मिला दो ,,
सबके बिगड़े काम बना दो
मन में हर्षोल्लास जगा दो
नौ नौ रुप हैं समाये हर रुप
मेरे मन को भाये ,,
सहज रुप में माता अम्बा हो ,,जगत के दु:ख हरने
में हो जगतजननी जगदम्बा ,,
काल के लिए काली बनकर दुष्टों का संहार
हो करती मां ज्वाला भी
तुम हो मां शेरावाली भी
तुम हो!
आदि शक्ति जगदम्बे करुणा मयि मां जय अम्बे
शुंभ निशुंभ दानव तुमने मारा रक्त बीज का संहार
किया मधु कैटभ ,, महिषासुर मारा धूम्रलोचन
को भस्म किया सारा विश्व
दानव से भयहीन किया!!
जय दुर्गे जय जगदम्बे
आदि शक्ति जय अम्बे नमामि दुर्गे नमामि अम्बे!
स्वरचित (स्वैच्छिक)
मुंबई
सरिता मिश्रा पाठक "काव्यांशा