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लखनऊः प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए अखिलेश यादव ने यश भारती और पदम सम्मानों की पेंशन राशि बढ़ाने में संस्कृति विभाग की,तत्कालीन मंत्री और विभागीय सचिव की संस्तुतियों की अनदेखी की थी।
जनसूचना अधिकार (आरटीआई) के तहत संस्कृति विभाग से प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने पत्रकारों को यह जानकारी दी है। नूतन ठाकुर के अनुसार दोनों सम्मानों/पुरुस्कारों के लिए संस्कृति विभाग की तत्कालीन मंत्री अरूण कुमारी कोरी व सचिव अनीता मेश्राम ने 20 हजार रूपये मासिक पेंशन की ही संस्तुति की थी पर इस संस्तुति की अनदेखी करते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पेंशन की राशि को बढ़ाकर 50 हजार रूपये करने का निर्देश दे दिया।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर उनके सचिवालय के एक सचिव ने नोटशीट पर पेंशन की राशि बढ़ाने का निर्देश अंकित किया।
डॉ. नूतन ठाकुर के अनुसार, दस्तावेजों की पड़ताल से यह भी सामने आया है कि पेंशन के लिए जो आवेदन प्रारूप तैयार किया गया था, उसमें विभाग की मंत्री और सचिव ने यह भी सिफारिश की थी कि पेंशन पाने वाले को यह घोषणा करनी होगी कि उसके पास आय के अन्य कोई पर्याप्त साधन नहीं है और जीवनयापन के लिए उसे पेंशन की जरूरत है।
तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इन दोनों शर्तों को भी हटाने का निर्देश दिया जिसके फलस्वरूप धनवान लोग भी पेंशन का लाभ पाने के लिए अनुमन्य हो गए। नूतन ठाकुर के अनुसार इस प्रकार सरकारी धन का दुरूपयोग किया गया।