नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंदी मोदी दुनिया के किसी भी मंच पर जब भारत की बात करते हैं तो सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में तेजी से बढ़ी अर्थव्यवस्था को बताते हैं। बात सच भी है भारत की जीडीपी अंतराष्ट्रीय आंकड़ों के लिहाज से भी सबसे तेजी से बढ़ रही है लेकिन 21 जून 1991 को जब नरसिम्हा राव ने नई सरकार की बागडोर संभाली थी तब भारत गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा था और उस वक़्त के वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के पास करो या मारो वाली स्थिति थी। उस वक़्त मनमोहन ने आर्थिक सुधार का जो रास्ता चुना उस पर चलना इतना आसान नहीं था। आलोचकों ने इस पर कई सवाल उठाये उनका मानना था कि जिस तरह 1980 में आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक के राह पर चलने से कुछ अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देश तबाह हो गए, भारत के साथ भी ऐसा ही हो सकता है। यहाँ तक कि विदेशी का विरोध और स्वदेशी अपनाने वाले आरएसएस ने भी इसका विरोध जमकर किया था।
उनका मानना था कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी द्वारा खोल देने से भारतीय कंपनियां तबाह हो जाएँगी। आज वह सोच पूरी तरह फेल हो चुकी है खुद संघ की सरकार इस अर्थव्यवस्था का और विस्तार कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विदेशी निवेश के लिए पूरी दुनिया का दौरा कर रहे हैं। आरएसएस एक वक़्त स्वदेशी-स्वदेशी चिल्लाता था आज वह पूरी तरह शांत है और उसे भी भारत की जीडीपी पर गर्व है। मौजूद सरकार उसी राह पर चल रही है जो मनमोहन सरकार ने 1991 में अपनाये थे। जीएसटी का विरोध एक वक़्त बीजेपी शासित राज्यों ने जमकर किया और सत्ता में आते ही केंद्र की मोदी सरकार ने जीएसटी को पास करने के लिए दमखम लगा दिया। वही एफडीआई को लेकर हुआ मोदी सरकार ने रक्षा के क्षेत्र में भी इसे लागू करने में कोई हिचक नही दिखाई।
मनमोहन की इकॉनोमी को वर्तमान सरकार के पास नकारने का कोई कारण भी नही है क्योंकि......
पिछले दो दशकों में भारत की औसत जीडीपी वृद्धि दर 8 फीसदी एवं औसत बचत दर 22 फीसदी से बढ़ कर 34-36 फीसदी हो गई है।
प्रति व्यक्ति आय इन दो दशको में 300 डॉलर से बढ़ कर 1,700 डॉलर हो गई है। नेशनल सैम्पल सर्वे ऑर्गनाइजेशन के अनुसार देश में गरीबी 1993-94 में 45.3 फीसदी से घटकर 2009-10 में 32 फीसदी हो गई।
भूखे लोगो की संख्या 1983 में 17.5 फीसदी से घटकर 2004 में 2.5 फीसदी रह गई। साक्षरता पिछले दो दशकों में 21.8 फीसदी की दर से बढ़ी है, जबकि इससे पहले के दो दशकों में यह सिर्फ 13 फीसदी की दर से बढ़ी थी।
कारोबार करने की सुविधा को आधार मान कर तैयार की गई विश्व बैंक एवं आइएफसी की 183 देशों की सूची में भारत का स्थान 134वां है।
विदेशी पूंजी के आगमन से भारत में निवेश की दर जीडीपी की 36-38 फीसदी पर पहुंच गई है। इससे जीडीपी विकास की दर 8-9 फीसदी बनी हुई है।