नई दिल्ली : तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक द्वारा 2008 के बाद पहली बार उत्पादन में कटौती का फैसला करने के बाद बढ़ती तेल कीमतों के बीच आज भारत ने कहा कि तेल की उंची कीमतें देश की विकास यात्रा के लिए एक जोखिम होंगी। भारत ने इस मुद्दे पर उपभोक्ता और उत्पादकों दोनों के हित साधने वाले रास्ते पर चलने पर जोर दिया। ओपेक में आठ साल में पहली बार तेल उत्पादन में कटौती मंजूरी दिये जाने के बाद ब्रेंट कच्चा तेल का भाव चढ़कर 54.56 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया जो 2009 के बाद कच्चे तेल के दाम में किसी एक सप्ताह में सबसे बड़ी वृद्धि है।
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यहां पेट्रोटेक-2016 सम्मेलन में कहा, ‘‘पिछले हफ्ते ओपेक देशों ने अपने उत्पादन में 12 लाख बैरल प्रतिदिन कटौती का फैसला किया है। इसके अलावा ओपेक के गैर-सदस्य देशों ने भी उत्पादन में छह लाख बैरल प्रतिदिन कटौती करने पर सहमति जताई है। इस प्रस्तावित कटौती से कच्चे तेल की कीमतें बढ़कर 50 डॉलर प्रति बैरल से उपर निकल जायेंगी, यहां तक कि भविष्य में इनके और बढ़ने की संभावना है।’’
भारत ने 2014-15 में तेल की कीमतों में कमी के बाद से महंगाई को कम करने के लिए ना सिर्फ पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी की है बल्कि इस अवसर का फायदा पेट्रोलियम उत्पादों पर शुल्क बढ़ाकर राजस्व वृद्धि के लिए भी किया है। देश में आयातित कच्चे तेल की कीमत 2013-14 में 105.52 डॉलर प्रति बैरल थी जो उससे अगले साल घटकर 84.16 डॉलर प्रति बैरल, 2015-16 में 46.17 डॉलर प्रति बैरल जबकि मौजूदा वित्त वर्ष में अब तक यह औसतन 44.81 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बनी रही है।