एकता
में बड़ी शक्ति होती हैं । वह परिवार, समाज, देश
बहुत ज्यादा तरक्की करता हैं जहाँ एकता होती हैं. एकता हमें एक दूसरे का मान-सम्मान
करना सिखाती हैं । एकता हमें बुराइयों के खिलाफ़ लड़ने की ताकत देती हैं । एकता ही
मानव जाति की पहचान हैं ।
‘कौमी एकता’ मुख्यतः राष्ट्रीय एकता की भावना को मजबूत बनाने, सांप्रदायिक सद्भाव बढ़ाने और देश को उदारता तथा धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों को बढ़ाने के लिए बहुत ही आवश्यक है । जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारा देश विविधताओं से परिपूर्ण है और हमारे देश में विभिन्न भाषाओं, धर्मों, जातियों और सम्प्रदाय के लोग रहते हैं, इसलिए यह अत्यंत ही आवश्यक है कि हममें एकता तथा आत्मीयता की भावना हो और हम एक-दूसरे के साथ भाईचारे के साथ रहें । हमारे देश के विभिन्न लोगों में एकता की भावना को बढ़ाने के लिए आवश्यक है कि हम एक-दूसरे के प्रति जाति, भाषा या धर्म के आधार पर किसी तरह का भेदभाव ना करें और अपने देश के लोगों में एकता और अखंडता को बनाये रखने के लिए कार्यरत रहें, यहीं बातें मानवता का मूलाधार है । आपसी सौहार्द को बढ़ाने के लिए, सहिष्णुता सह अस्तित्व तथा भाईचारे के मूल्यों और सदियों पुरानी परंपराओं के प्रति संकल्प लेने के लिए प्रतिवर्ष 19 से 25 नवम्बर तक “कौमी एकता सप्ताह” मान्य जाता है । यह पर्व ना सिर्फ तमाम सम्प्रदायों के मध्य सद्भावना बढ़ाने का कार्य करता है बल्कि लोगों में भाईचारा और एकता की भावना को भी बढ़ाता है । यह पर्व हमारे देश के विभिन्न जातियों, धर्मों और सम्प्रदायों को एक साथ लाने का कार्य करता है क्योंकि हम एक-दूसरे से भिन्न होकर भी एक ही है और हमारी असली पहचान हमारी राष्ट्रीयता यानी की हमारा ‘भारतीय’ होना है तथा हमारी एकता ही हमारी असली शक्ति है ।
इसे बनाए रखना
है हमारा दायित्व...
धर्म जाति के अंतर को तोड़ो,
हाथ मिलाओ
भारत को जोड़ो...
हमें तोड़ने वाले खुद टूट जायेंगे,
यदि हम थोड़े
शिक्षित हों जायेंगे...
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई,
मत करो लड़ाई, सब है भाई-भाई...
एकता की शक्ति को जो नहीं समझ पाता हैं,
वह जीवन में कभी भी आगे नहीं बढ़ पाता हैं ।
(इंजी. एन आर बैरवा)