नई दिल्ली: सड़क बनने पर आमतौर पर गांव या शहर वाले खुश होते है. लेकिन तेलंगाना में एक ऐसा गांव है जहां की सड़के ही गांव को बर्बादी का कारण बन गयी है. तेलंगाना के पेद्दाकुंता थांडा गांव में कोई भी पुरुष नहीं है. जिसका कारण हाईवे 44 के बाईपास के तौर पर बनी सड़क है.
जिन्दगीं जिस्मफरोशी पर टिकी
जनवरी 2006 में बाईपास सड़क बनने के बाद गांव के लोग काफी खुश थे. उन्हे लगा सड़क के जरिए उनके गांव में रोजगार दस्तक देगी. लेकिन एक्सींडेट की घटनाओं ने पुरे गांव को विधवा बना दिया. 2006 से लेकर खबरलिखे जाना तक 80 लोगों की मौत हो चुकी है. आलम यह है कि विधवाओं को पेट पालने के लिए जिस्मफरोशी का धंधा करना पड़ रहा है.
पुरुष के नाम पर 6 साल का बच्चा
पुरे गांव में पुरुष के नाम पर एक 6 साल का बच्चा ही है. पेद्दाकुंता थांडा गांव के लोग एक ऐसी सड़क चाहते थे जो उन्हें कम समय में सुरक्षित नंदीग्राम तक पहुंचा दे. आपको बता दें कि नंदीग्राम इस पंचायत का मुख्यालय है और गांव से 5 किलोमीटर की दूरी पर है. लेकिन गांव वालों को ऐसी सड़क मिली जिसने नंदीग्राम की जगह कहीं और ही पहुंचा दिया.
पेट पालने के लिए करती है वेश्यावृत्ति
इसी गांव की एक विधवा ने बताया कि 'हम में से कुछ विधवाओं को परिवार का पेट भरने के लिए कमाना पड़ता है. जो पुरुष हमारे साथ रात बिताने को तैयार हैं वे जानते हैं कि जबतक वे पैसे देंगे तब तक वे यहां आ सकते हैं'.
सरकार ने किया है विधवा पेंशन का ऐलान
सरकार ने विधवाओं को पेंशन देने का फैसला किया है, लेकिन इसके लिए भी उन्हें अपनी जान जोखिम में डालकर नंदीगाव जाना पड़ता है.