लखनऊ ब्यूरो-: बसपा सुप्रीमो मायावती के मिजाज के चलते उनकी पार्टी में एक बार फिर बगावत के आसार बढ़ रहे हैं। उनसे नाराज बसपाइयों ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है। यदि कोई अप्रत्याशित राजनीति क घटनाक्रम न हुआ, तो इसी 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती के दिन लखनऊ में असंतुष्ट बसपाइयों का एक बडा खेमा नये राजनीतिक मंच के गठन की घोषणा कर सकता है।
जानकार सूत्रों के अनुसार, हाल ही में बसपा से त्यागपत्र दे चुके कमलाकांत गौतम और गंगाराम ने प्रदेश में बसपा का विकल्प खडा करने की पूरी तैयारी कर ली है। ये दोनो क्रमशः मायावती सरकार में मंत्री और उनके ओ.एस.डी. रहे है। इन दोनों ने आगामी 13 अप्रैल को लखनऊ में राज्य स्तरीय एक सम्मेलन बुलाने का फैसला किया है। इस सम्मेलन में ‘मिशन सुरक्षा परिषद‘ नामक एक नया समूह बनाने की घोषणा की जायेगी। इसमें ऐसे सभी बसपाइयों को शामिल किया जायेगा, जो कांशीराम के समर्थक रहे हैं और उनके मिशन पर काम करना चाहते हैं।
इस संबंध में कमलाकांत गौतम ने ‘इंडिया संवाद‘ से कहा है कि पहले लोकसभा फिर विधान सभा के चुनाव में पार्टी की जबरदस्त शिकस्त के बावजूद, मायावती की आंखे नहीं खुल रही हैं। इनकी इसी मदहोशी के चलते 2012 में बसपा को सूबे की सत्ता से हटना पडा था। 2014 के लोकसभाई चुनाव में उसे पूरे प्रदेश में एक भी सीट नहीं मिल सकी थी। अब इस विधान सभाई चुनाव में वह सिर्फ 19 सीटों पर ही सिमट कर रह गयी है। यह सिर्फ इसी बात का नतीजा है कि प्रदेश में पार्टी के जनाधार में बडी तेजी से गिरावट आती जा रही है।
इनका यह भी कहना रहा है कि इस नये राजनीतिक मंच में दलितों, अतिपिछडों तथा समाज के आखिरी छोर पर खडे कमजोर वर्गों के लोगों को लेकर एक नया काडर बनाया जायेगा। इस बात का फैसला इसी 26 मार्च को असंतुष्ट बसपाइयों की बैठक में ले लिया गया था। बसपा के इन असंतुष्ट कार्यकर्ताओं ने अपने असंतोष को जाहिर करने के इरादे से ही गाजियाबाद, मेरठ, मुरादाबाद और इटावा में नसीमुद्दीन सहित बसपा के अन्य दिग्गजों के पुतले जलाये थे। लेकिन, मायावती ने इसे गंभीरता से नहीं लिया है। इनका कहना रहा है कि बसपा सुप्रीमो ने समर्पित बसपाइयों की बजाय बाहर से आये लोगों को ही चुनावी टिकट दिया था। इसके बदले में इन लोगों से काफी पैसा वसूला गया था। इससे बसपाइयों में जबरदस्त आक्रोश व्याप्त हो गया था, जो अब इस रूप मे सामने आ रहा है।