
लखनऊ : यूपी से बसपा की खत्म हो रही राजनीति की साख को फिर से राज्य में स्थापित करने के लिए पार्टी सुप्रीमो मायावती ने राज्यसभा से अपना इस्तीफा दिया है. उनके इस इस्तीफे की खास वजह दलितों के मुद्दे पर बोलने न देना नहीं बल्कि सूबे से लुप्त हो रही पार्टी बताई जाती है. बताया जाता है कि दलितों की राजनीति से उठकर सत्ता हासिल करने वाली मायावती अब ये जान चुकी हैं की उनका असली वोट बैंक वही है. जिसको पिछले कुछ सालों से वह भूल चुकी थीं. इसीलिए मंगलवार को सहारनपुर में हुई दलित हिंसा पर सदन में बात न रखने देने का बहाना बनाकर उन्होंने तीन पेजों वाली चिट्ठी में अंतिम लाइन में अपने इस्तीफे की बात लिखकर सभापति को सौंप दी.
फूलपुर सीट के लिए लोकसभा उपचुनाव लड़ सकती हैं मायावती
उनके इस्तीफा देने के कदम पर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. राजनीति के गलियारों में यह चर्चा गरम है कि मायावती ने यह इस्तीफा सोची-समझी रणनीति के तहत दिया है. माना जा रहा है कि वह फूलपुर सीट के लिए लोकसभा उपचुनाव लड़ सकती हैं. उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य अपनी फूलपुर लोकसभा सीट से इस्तीफा देंगे. राज्य का उप-मुख्यमंत्री बने रहने के लिए उन्हें विधानसभा या फिर विधान परिषद की सदस्यता हासिल करना अनिवार्य है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि बसपा सुप्रीमो फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ सकती हैं. बीएसपी के लिए यह सीट कई मायनों में अहम साबित हो सकती है.
मायावती फिर से जमाना चाहती है राजनीति में कदम
मायावती का राजनीतिक करियर धीमे-धीमे खत्म होता जा रहा है. लगातार चुनावों में मिल रही हार से झुललाईं मायावती ने बड़ा दाव खेल ा है. मायावती के लिए अपनी पार्टी को केंद्र में लाना जरूरी है क्योंकि वह 2012 के बाद एक के बाद एक विधानसभा चुनाव हार चुकी हैं. यही नहीं 2014 लोकसभा चुनाव में तो उनकी पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई. लगातार तीन चुनाव में हारने के बाद वापसी करना आसान नहीं है. नाटकीय अंदाज में इस्तीफा देकर वह 2019 लोकसभा चुनाव के लिए नए सिरे से शुरुआत कर रही हैं.
जानिए सदन में मंगलवार को क्या हुआ था ?
उल् लेख नीय है कि मंगलवार की सुबह संसद में कार्यवाही शुरू होते ही सरकार पर आरोपों की झड़ी लगी. जवाब सरकारी पक्ष की ओर से भी आया. राज्यसभा में तब सनसनी फैली जब मायावती इस्तीफे की धमकी दे दी. सहारनपुर दंगे के बाबत उपाध्यक्ष ने उन्हें कुछ मिनटों में भाषण खत्म करने को कहा. वक्त गुजरा तो घंटी बजाकर उन्हें इसकी याद दिलाई गई. मायावती आपा खो बैठीं. उन्होंने तैश में उपसभापति पर जमकर बरसते हुए कहा, ‘जब आप मुझे सदन में बोलने नहीं देते हैं तो मैं इस्तीफा दे देती हूं.’ उसी अंदाज में वह सदन छोड़कर चली गईं. बहरहाल इससे ये बात साफ है कि बहनजी पहले से ही इस्तीफा देने का मन बनाये हुई थीं और मौका मिलते ही उन्होंने राज्यसभा से अपना इस्तीफा दे दिया.