नई दिल्लीः अरुणांचल प्रदेश में भाजपा की सरकार बनाने के लिए सब कुछ झोंक देने वाले ज्योति प्रसाद राजखोवा को शायद यह उम्मीद नहीं रही होगी कि उन्हें जिस पार्टी की भक्ति में यह सब कर रहे हैं, वहीं उन्हें बर्खास्त कर देगी। मगर ऐसा ही हुआ। पहले मोदी सरकार ने इस्तीफा मांगा, जब नहीं दिए तो बर्खास्त कर दिया गया। राजखोवा को पदमुक्त के बाद वहां की जिम्मेदारी मेघालय के राज्यपाल वी शण्मुगनाथन को दी गई है। केंद्र ने राजखोवा को स्वास्थ्य कारणों का बहाना बनाते हुए 31 अगस्त तक इस्तीफा देने को कहा था। जिसके जवाब में राजखोवा ने बर्खास्त करने की बात कही थी।
क्यों आए राजखोवा चर्चा में
दरअसल राज्यपाल ने कांग्रेस सरकार को असंवैधानिक करार देते हुए कांग्रेस के बागी विधायकों के भाजपा से मिलकर सरकार बनाने को आमंत्रित कर दिया था। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में कांग्रेस सरकार बहाल करते हुए राज्यपाल को चुनी गई सरकार को अपमानित करने से बचने की सलाह दी थी। वहीं एक इंटरव्यू में जब उनसे केंद्र सरकार की ओर से इस्तीफा मांगने पर सवाल पूछा गए तो उन्होंने कहा था कि मैं इस्तीफा नहीं दूंगा। मैं चाहता हूं कि वो मुझे बर्खास्त करें। राष्ट्रपति को अपना असंतोष सार्वजनिक करने दीजिए। बता दें कि असम के पूर्व मुख्य सचिव राजखोवा को जून 2015 मे मोदी सरकार की सिफारिश पर अरुणांचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया था।
गैर सरकारी शख्स ने फोन कर कहा-दे दीजिए इस्तीफा
जेपी राजखोवा ने बताया कि एक गैर सरकारी व्यक्ति ने उन्हें फोन कर कहा कि केंद्र सरकार उनका इस्तीफा चाहती है। लिहाजा वे समय से दे दें। इस पर राजखोवा ने कहा था कि सरकार में जिसे इस्तीफा चाहिए वह किसी तीसरे के बजाए खुद उनसे बात करे। इसके बाद राजखोवा ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से बात की तो उन्होंने ऐसी किसी बात से अनभिज्ञता जाहिर की। इसके बाद जब ए और केंद्रीय मंत्री से राजखोवा ने बात की तो पता चला कि सरकार ने उनके इस्तीफा का फैसला ले लिया है।
क्यों भाजपा ने हटाया गवर्नर
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने गवर्नर के खिलाफ सख्त टिप्पणी करते हुए चुनी गई कांग्रेस सरकार को अपमानित न करने की सलाह दी थी। दूसरी तरफ राष्ट्रपति शासन लगने के बीच कांग्रेस राज्यपाल जेपी राजखोवा को वापस बुलाने की मांग पर अड़ी थी। टकराव को देखते हुए भाजपा ने गवर्नर को हटाकर टकराव की आग पर पानी छिड़कने की कोशिश की है।