रांची : एक के बाद एक भ्रष्ट सरकारों के चलते झारखंड में आज भी आधे से ज्यादा घरों में अंधेरा छाया हुआ हैं . झारखंड के इसी अंधरे को उजाले में बदल कर रघुवर दास 2019 में अपनी चुनावी तकदीर बदलने की प्लानिंग कर रहे हैं. घर-घर बिजली पहुंचाने के लक्ष्य को लेकर जहां मुख्यमंत्री ने एनटीपीसी से 4000 मेगावाट बिजली उत्पादन का करार किया, यहीं नहीं राज्य ने बिजली के 13 करार किए हैं , जिसमें आने वाले समय में झारखंड पावर के मामले में पूर्वी भारत में सबसे पावरफुल होगा.
दरअसल लालू यादव के समय से आदिवासी बहुल इलाकों में बिजली पहुंचाने के काम पर किसी ने कोई दिलचस्पी दिखाई . हकीकत तो यह है कि मौजूदा समय में भी 92 फीसदी बिजली झारखंड सरकार को अलग-अलग कंपनियों से ख़रीदनी पड़ रही है
सूत्रों के मुताबिक झारखंड को आज 2400 मेगावाट बिजली की ज़रुरत हैं लेकिन बिजली का उत्पादन इसका 10 फीसदी भी नहीं हैं . बद हाली का आलम यह हैं कि बिजली पहुंचाने के संसाधन नदारद हैं बिजली सब स्टेशन जर्जर हो चुके हैं. आदिवासी इलाकों में ट्रासमिशन लाइन नहीं पहुँची हैं और शहरों में बिजली के तार इतने पुराने हो चुके हैं कि उन्हें वह लोड नहीं ले सकते, सत्रो ने इंडिया संवाद को बताया कि ट्रासमिशन की वजह से बिजली का वितरण सुचारु रुप से करना बेहद मुश्किल हैं
लिहाजा रघुवर दास ने मुख्यमंत्री शपथ लेने के तुरंत बाद अधिकारियों के साथ राज्य के सबसे बड़ी समस्या का रोड़ मैप तैयार किया. और खुद रघुवर दास पीएम मोदी से लेकर ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल से मिले फिर केन्द्र ओर राज्य सराकार में 24x7 पावर का नया करार किया गया, रघुवर दास के पीआरओ प्रभात मिश्रा का कहना हैं कि 24x7 के पावर को जब वह जमीन पर उतारगें तो झारखंड के स्कूल , कालेज , हास्पिटल , गांव , कारखाने, हास्पिटल और बाजार जगमगाना लगेगें.
सूत्रो ने बताया कि मधुकोड़ा और हेमंत सोरन जैसी सरकारो के पास काफी मौका था , लेकिन इस दिशा में कारगर योजना लाने कि जगह लूट का खेल खेला, हालात यह हैं कि जो राज्य देश को सबसे ज्यादा कोयला देकर दूसरे को बिजली से जगमगाता हैं वही राज्य आज अधंरे में ढुबा हैं .