देहरादून से अनूप श्रीवास्तव और अमित बाजपेयी
देहरादूनः समय से एंबुलेंस मिलता तो गंगा देवी आज भी जिंदा होती। असामयिक मौत से परिवार की आंखों में आंसुओं का सैलाब मुख्यमंत्री हरीश रावत की आंखों में भले ही पानी न ला सके, मगर दूसरों का दिल जरूर रो उठता है। परिवार का गम देख पनीली आंखों को लोग रुमाल से पोछने लगते हैं। कुछ दिन पहले की बात है। हालत खराब होने पर गंगा देवी बीमार अचानक से तड़पने लगीं। परिवार वाले रावत सरकार के बहुप्रचारित 108 एंबुलेंस को फोन मिलाते रहे। एक तो नंबर नहीं लगता, जब लगता तो देहरादून नहीं लखनऊ फोन पहुंच जाता।108 एंबुलेंस नंबर डायल करते-करते कब गंगा देवी ने आखिरी सांस ले ली, परिवार को पता ही नहीं चला। यह काला सच है पहाड़ों पर बसे उस उत्तराखंड का, जहां की खूबसूरत वादियों में पूरे देश के लोग दिल बहलाने आते हैं, और सुकून लेकर लौटते हैं। मगर यहां की बीमार स्वास्थ्य सेवाएं स्थानीय बाशिंदों को गम के दरिया में डुबने को मजबूर कर रहीं हैं। स्थानीय लोगों से मिलिए और थोड़ा टटोलिए तो दुखों का पहाड़ बरबस ही उनके लबों से फूट पड़ता है। एंबुलेंस के अभाव में जान गंवाने वालीं गंगा देवी के मामले से ही इंडिया संवाद रावत सरकार के स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल नहीं उठा रहा, बल्कि मरने वालों की सूची बहुत लंबी है। 'इंडिया संवाद' की नई दिल्ली टीम ने उत्तराखंड का दौरा कर जाना उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाओं का सच। पेश है रिपोर्ट
शर्म करो सरकारः सवा करोड़ की आबादी, 40 हजार करोड़ का बजट और मरती जनता
उत्तराखंड के बारे में थोड़ा आंकड़े जुटाने पर पता चला कि यहां महज सवा करोड़ की आबादी है, मगर बजट चालीस हज़ार करोड़ का। जी हां बंपर बजट वाले उत्तराखंड में अभी भी दुष्वारियां लोगों की जान ले रही हैं। देश में बजट के नाम पर सबसे समृद्ध राज्यों में से उत्तराखंड का हाल यह कि आज भी समय पर एंबुलेंस न पहंचने पर मरीज़ घर में ही दम तोड़ रहे हैं। 108 एंबुलेंस सर्विस का ढिंढोरा तो बहुत पीटा गया लेकिन लोगों की जीवन रेखा बनने में यह सेवा अच्छे नतीजे नहीं दे सकी। मिसाल के तौर पर पिथौरागढ़ के चंपावत इलाके में पिछले चार महीनों में तीन ऐसे मामले रिपोर्ट हुए जहां एंबुलेंस देर से पहुंचने के चलते मरीज़ों ने दम तोड़ दिया। यही दुर्दशा इस पहा़ड़ी सूबे के बाकी ज़िलों का भी है। 108 एंबुलेंस सर्विस राज्य सरकार ने केवल इस मक़सद से शुरू की थी कि पहाड़ी इलाके में मरीज़ों को चिकित्सीय सेवाएं उपलब्ध कराई जाए।
एंबुलेंस सेवा के अभाव में मरने वालों के परिवार से मिलिए
ताज़ा मामला चंपावत के पालेत गांव का है जहां बीस साल की गर्भवती नीरू देवी को आपात स्थितियों में ज़िला अस्पताल लाया गया। परीक्षण के बाद डॉक्टरों ने सलाह दी कि हालत बेहद गंभीर है तुरंत ही नीरू को बड़े अस्पताल ले जाया जाए। अस्पताल के चीफ मेडिकल सुप्रीटेंडेंट आरसी जोशी ने बताया की प्रीमेच्योर डिलेवरी के लिए अस्पताल में पर्याप्त सुविधाएं नहीं थी जिसके कारण हमने मरीज़ के परिवार को 108 ऐंबुलेंस सर्विस लेने के लिए कहा। नीरू के पति प्रकाश जोशी कहते हैं कि हम 108 के लिए जोड़तोड़ करते रहे लेकिन हमें दो घंटे तक कोई जवाब नहीं मिला जिसके बाद हम नीरू को निजी अस्पताल ले गए जहां जच्चा(मां) को तो बचा लिया गया मगर बच्चे को नहीं बचाया जा सका।
ऐसी ही एक और झकझोर देने वाली घटना चंपारत के तावती गांव की है यहां पिछले महीने यशोदा देवी घर में ही चोट खाकर बेहोश हो गई थी । स्थानीय डॉक्टरों ने 108 नंबर की सर्विस पर कॉल कर यशोदा देवी को किसी बड़े अस्पताल ले जाने के लिए कहा। घंटों तक छटपटाने के बाद कोई भी सेवा प्राप्त नही हो सकी। एक निजी एंबुलेंस से उन्हें देहरादून ले जाया गया जहां बेलखेत में उनकी मौत हो गई। कॉर्नल गांव की गंगा देवी की भी मौत ऐसे ही हुई। जहां पर परिवार वाले 108 डॉयल करते रहे और नंबर देहरादून की बजाय लखनऊ कनेक्ट होता रहा।
क्या कहते हैं एंबुलेंस सर्विस के मुखिया
चंपारत में हुए हाल की घटनाओं से जब शोर मचा तो स्थानीय पत्रकारों ने एंबुलेंस सर्विस के संयोजक अमित धारीवाल से बात की । हज़ारों हज़ार करोड़ के बजट वाले राज्य का हाल क्या है आप अमित धारीवाल के इस जवाब से समझ सकते हैं। जो उन्होने पत्रकारों को बताया, उन्होनें माना कि यह सही है कि 108 ऐंबुलेंस वक़्त पर नहीं पहुंच पाती इसका मुख्य कारण ऐंबुलेंस से जुड़ी मेंटनेंस सर्विस है। हमारे पास गाड़ी के स्पेयर पार्ट नहीं होते, गाड़ी में स्टेपनी के टॉयर नहीं है इसीलिए हम रात आठ बजे के बाद ऐंबुलेंस नहीं चला पाते। राज्य मुख्यालय को हमने आर्थिक सहायत के लिए लिखा लेकिन कोई भी मदद नहीं मिली जैसे ही देहरादून से पैसा मिलेगा हमे इमरजेंसी सेवा को देर शाम शुरू कर देंगे। उधर विपक्ष का कहना है कि राज्य की हालत यह है कि तमाम बड़ी घटनाओं के बाद भी हरीश रावत अचछे प्रशासन के जगह सिर्फ चुनाव के लिए पैसा बटोरने में लगे हुए है। वो केवल वोट की राजनीति करने में लगे हुए है।
'इंडिया संवाद' से इलाकाई जनता की जुबानी
चंपावत के रहने वाले सीएस जोशी इंडिया संवाद से सूबे की स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोलते हैं। बदहाल चिकित्सा सेवाओं के बारे में कहते हैं कि न तो यहां ब्लड बैंक है, न ही यहां क़ायदे के डॉक्टर हैं और न ही यहां कोई ज़रूरी मेडिकल सेवा है। 108 एंबुलेंस ठीक तरीके से न चलने की वजह से हर दिन किसी न किसी मुहल्ले में इस तरह के हादसे हो रहे हैं।