धनबाद : यहां गैंग्स ऑफ वासेपुर में 40 साल बाद जश्न मना . मौका था एक एक सड़क के निर्माण का. यह वह 'विकास' सड़क है. जो खोफ की गली के नाम से जाना जाता हैं. और आज तक गोली-बम और खून-खराबे के कारण जर्जरता से मुक्त नहीं हो पाई थी. नगर निगम और स्थानीय लोगों की पहल पर 40 साल बाद इस जर्जर सड़क का निर्माण होना है . तो सड़क निर्माण की इस खबर ने गैंगस्टर फहीम खान की गलियों में जश्न का माहौल बना दिया.
सड़क निर्माण की ऐसी खुशी पहली बार दिखी.
बताते चलें कि रविवार को नगर निगम के मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल जैसे ही योजना का शिलान्यास करने पहुंचे, तालियां खुशियों की जुबान बनकर गूंज उठी. इधर, शिलान्यास पट्ट पर मेयर ने नारियल फोड़ योजना का श्रीगणेश किया और उधर मिठाइयां बंटने लगी...खौफ की गली में विकास (सड़क निर्माण) की ऐसी खुशी पहली बार दिखी। इस खुशी और जश्न को निगम के अधिकारियों ने विकास की चाहत की नई शुरुआत कहा.
कौन है फहीम
वासेपुर में कोयला खदानों पर दबदबा बनाने के लिए 80 के दशक से कई गुटों में खूनी जंग चल रही है। इनमें से एक गुट फहीम लीड करता है.कहा जाता है कि कोयला खदानों में वासेपुर के कई मजदूर काम करते हैं, जिसपर इस डॉन का राज है। फहीम फिलहाल जेल में है. मर्डर सहित लूट-रंगदारी के आरोपी फहीम की दुश्मनी यहां के शक्तिशाली घराने 'सिंह मेंशन', रघुकुल और सबीर गुट से है.फहीम का बेटा भी धनबाद के एक रेलवे ठेकेदार की हत्या मामले में जेल में है। वहीं, इस खूनी जंग में उसके पिता, भाई, मां और मौसी की भी मौत हो चुकी है.
80 के दशक से चल रही सबीर गुट से लड़ाई फहीम और सबीर गुटों ने कई बार एक दूसरे पर हमले करवाए. फहीम के पिता सफी खान के समय से जो गैंगवार शुरू हुई वो 90 के दशक तक जारी रही.सबीर पर बम फेंके जाने के बाद फहीम के घर पर हमला हुआ. इन दोनों के बीच की लड़ाई में फहीम का बॉडीगार्ड भी गोलियों का शिकार बन गया.