लखनऊः लखनऊ मेट्रो ने अपने रूट में पड़ने वाले पेड़ों को काटने के बजाए उन्हें बेहतर स्थान पर ले जाकर लगाने का निर्णय लिया है। करीब 880 पेड़ों का एक स्थान से ले जाकर दूसरे स्थान पर लगाये जाने के यह काम लखनऊ मेट्रो के लिए अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है।
इन पेड़ो में नीम, पीपल, बरगद, पल्मेरिया, अल्बा, वाशिंग टोनिया, तबोबिया, केशिया, सेमिया जैसे सैकड़ों पेड़ गोमती किनारे पर्यावरण को बेहतर बनाने में मददगार सबित हो रहे है। सिंचाई विभाग से जमीन लेकर इन पेड़ों को शिफ्ट करने का काम किया जा रहा है। नार्थ साउथ कारीडोर के प्राथमिक सेक्शन से 595 पेड़ों को मेट्रो रूट से हटाया गया था। इनमें अधिकांश पुराने पेड़ मेट्रो डिपो के भीतर लगे थे। सौ-सौ साल पुराने पेड़ों को एलएमआरसी के वन अधिकारी मोहन तिवारी ने बेहतरीन तरीके से उनका नया ठिकाना बनवाने मे ंमहत्वपूर्ण रोल अदा किया।
आज यह सभी पेड़ पर्यावरण को और बेहतर करने में मददगार साबित हो रहे है। उनके मुताबिक चारबाग से हजरतगंज स्थित लक्ष्मण पार्क तक 37 पेड़ थे। इस रूट में तीन भूमीगत स्टेशन पड़ रहे है। तिवारी ने बताया कि इस रूट से हटाए गए कई पेड़ों को मोतीलाल, आइटीआइ प्लांट के कंपाउंड मे लगाया गया है। कपूर होटल से केडी सिंह स्टेडियम तक लगे 18 पेड़ हटाकर गोमती किनारे लगाए गए है। इन पेड़ों की हर तीसरे दिन मानीटरिंग की जा रही है।
इसके आगे के एलीवेटेड रूप पर करीब 247 पेड़ों को ट्रांसफर करने का काम भी लखनऊ मेट्रो ने शुरू कर दिया है। यह काम दिल्ली की एक निजी नर्सरी कंपनी को दिया गया है।गोमती किनारे मिला स्थान इन पेड़ो के लिए सिंचाई विभाग ने पिपराघाट स्थित गोमती किनारे की जमीन लखनऊ मेट्रो को दी है। वन अधिकारी मोहन तिवारी कहते है कि जमीन मिल गई है अब बचे हुए पेड़ों को स्थानांतरित करने का काम भी शुरू कर दिया जाएगा।जमीन होती तो रूट पर लगाते पेड़ मेट्रो स्टेशनों के पास थोड़ा भी अतिरिक्त स्थान होता तो हरियाली को बरकरार रखने के लिए इन बड़े वृक्षों को ट्रांसफर करके वहीं लगाया जाता। इससे यात्रियोंको मेट्रो रूट हरियाली के कारण और अच्छा लगता।
हालांकि बैरीकेडिंग स्थल पर हरियाली लगाने का काम हो रहा है।मेट्रो ने अभी तक जितने पेड़ मजबूरी वश उखाड़े है, उन्हें नया स्थान दिया गया है। एक भी पेड़ उखाड़ने के बाद खराब न हो, इसके लिए पूरी मॉनीटरिंग की जाती है। अभी तक करीब 880 पेड़ों का तबादला हो चुका है।