नई दिल्ली : आठ नवंबर से पहले विजय शेखर शर्मा अपना धंधा सामान्य रूप से चला रहे थे. लेकिन जैसे ही रात 8 बजे मोदी ने नोटबंदी की कि शर्माजी कि बाछें खिल गयीं. एक जमाना था जब निम्न मध्यम वर्गीय परिवार में जन्में शेखर के पास टैक्सी से चलने के लिए पैसे भी नहीं हुआ करते थे.
दिल्ली के बड़े होटल में डिनर करना था ख्वाब
वह खुद कहते हैं कि कुछ साल पहले तक उनके लिए दिल्ली के किसी होटल में अच्छा डिनर ( खाना ) करना नाममकिन ही नहीं बल्कि एक ख्वाब था. लेकिन 2010 में जब शर्मा ने ऑन लाइन प्लेटफार्म ( पेमेंट ) स्थापित किया तो जिंदगी ने रफ़्तार पकड़ ली. शर्मा ने अपनी इस साइट का नाम पेटीएम रखा और इंटरनेट पर कारोबार करने का सहज मौका दिया.
साइट हुई फेमस तो आ गए निवेशक
देखते ही देखते साइट इतनी अधिक फेमस हो गयी कि चायना के बड़े व्यापार ी और 'ई कामर्स' साइट अलीबाबा के मालिक जैक माँ ने जब इस साइट में निवेश किया तो शेखर ने कर्मचारियों और दफ्तर में भारी धनराशि निवेश में लगा दी. यही नहीं कुछ दिनों बाद जब रतन टाटा ने शेखर की पीठ थपथपाई और निवेश करने को तैयार हो गयी. अब कंपनी 200 करोड़ रुपये की हो चुकी थी, लेकिन 8 नवंबर की रात शर्माजी ने जैसे ही अपनी टीवी के सामने 8 बजे पीएम मोदी की नोटबंदी का ऐलान सुना तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा.
आया जमाना पेटीएम का
दरअसल पीएम मोदी की 500 और1000 रुपये की नोटबंदी को लेकर परेशान देश की जनता के पास अब पेटीएम के अलावा अपने बिलों और अन्य खरीददारी का भुगतान करने के लिए कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा था. जिसके चलते लोगों ने अपने बकाया बिजली और पानी के बिलों की लंबी कतारों को छोड़ लोगों ने अब बड़ी संख्या में मोबाइल भुगतान और व्यापार प्लेटफार्म पेटीएम का इस्तेमाल शुरू कर दिया.
पेटीएम भुगतान बढ़ा 150 प्रतिशत
इसके चलते पेटीएम के यूटिलिटी बिल भुगतान विभाग में 150 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई है. पेटीएम की उप महाप्रबंधक सोनिया धवन ने शुक्रवार को अपने एक बयान में इस बात की जानकारी देते हुए बताया है कि केंद्र सरकार ने विमुद्रीकरण की घोषणा के बाद यूटिलिटी बिल भुगतान के लिए 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को चलाने की अनुमति दी थी. बावजूद इसके यूटिलिटी बिल भुगतान विभाग में 150 प्रतिशत की तेजी दर्ज होना प्रोत्साही आंकड़ा है.
पेटीएम मालिक बने खरबपति
धवन ने कहा कि दिल्ली के उपभोक्ता यूटिलिटी बिलों का भुगतान करने के लिए अब एक तेज और आसान तरीके के रूप में पेटीएम को तरजीह दे रहे हैं. उपभोक्ता अब लंबी कतारों और खुल्ले पैसे रखने की दिक्कतों को अलविदा कह सकते हैं. वे अब स्वयं अपने गैस और पानी के बिलों का भुगतान कर सकते हैं. अपने फोन या मेट्रो कार्ड्स को रिचार्ज कर सकते हैं. इस भागदौड़ की जिंदगी में अब लंबी लाइन में घंटो खड़े रहे के लिए किसी के पास समय नहीं है. नतीजतन लोगों को अपने भुगतान के लिए अब पेटीएम के अलावा दूसरा रास्ता नजर नहीं आ रहा है. बहरहाल देश में नोटबंदी के बाद जहां लोग अपने ही पैसे बैंक से निकालने के लिए घंटों एटीएम पर लाइन लगा रहे है. वही अलीगढ़ के शर्माजी पेटीएम के जरिये नोटबंदी के बाद से खरबपति बन गए हैं.