
नई दिल्लीः बैंकों का नौ हजार करोड़ रुपये लेकर लंदन भागे विजय माल्या की साल भर बाद गिरफ्तारी यूं ही नहीं हुई। इसके पीछे एक अफसर की खास भूमिका रही। नाम है यशवर्द्धन कुमार सिन्हा। भारतीय विदेश सेवा के 1981 बैच के अफसर सिन्हा की पोजीशन फिलहाल लंदन में भारतीय उच्चायुक्त(हाई कमिश्नर) की है। यशवर्द्धन माल्या के मामले में भारत और ब्रिटेन सरकार के बीच सेतु का काम अच्छी तरह से किए। आखिरकार दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत पहली बार गिरफ्तारी कराने में सफलता मिली। यह दीगर बात है कि गिरफ्तारी के कुछ घंटे के बाद कोर्ट ने माल्या को जमानत दे दी है।
कई देशों में राजनयिक मामले सुलझा चुके हैं सिन्हा
यशवर्धन सिंह तेजतर्रार राजनयिक माने जाते हैं। यही वजह है कि जब लंदन में हाईकमिश्नर नवतेज सरना शिथिल साबित हुए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें हटाकर यशवर्धन को तैनाती दी। इससे पहले यशवर्द्धन श्रीलंका में कार्यरत रहे। उग्रवादी संगठन लिट्टे के मामले को लेकर भारत और श्रीलंका के बीच संबंधों को बेहतर करने में यशवर्धन सफल रहे। यूनाइटेड नेशंस में चार साल की सफल पारी भी खेल ी। साउथ एशिया, मिडिल ईस्ट, यूरोप, साउथ अमेरिका में कई डिप्लोमेटिक मिशन का हिस्सा रहने के दौरान जिम्मेदारी संजीदगी और सलीके से निभाई। यही वजह है कि मोदी का भरोसा जीतने में सफल रहे तो उन्हें लंदन हाईकमिश्नर पद पर पिछले साल नवंबर में तैनाती दी गई। जिसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर यशवर्धन सिन्हा ने पूरे मामले को टेकऑफ किया। ब्रिटिश सरकार को भारतीय विदेश और वित्त मंत्रालय से मिले सभी सुबूत सौंपे। बताया कि माल्या आर्थिक अपराधी हैं। गरीबों का नौ हजार करोड़ रुपये लेकर फरार हुए हैं। यशवर्धन सिन्हा की कोशिशों के बाद ब्रिटेन सरकार भी माल्या के मामले में गंभीर हुई। जिसके बाद वहां की कोर्ट के आदेश के बाद स्कॉटलैंड पुलिस ने गिरफ्तार किया।
डीयू से पढ़ाई किए है सिन्हा
यशवर्धन कुमार सिन्हा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री ली है। इसके बाद 1981 में भारतीय विदेश सेवा से जुड़े। तब से फ विभिन्न देशों में भारत की ओर से राजनयिक जिम्मेदारियां निभा रहे हैं। 2007 से अगस्त 2009 तक वेन्जुएला में 2003 से 2006 तक दुबई में रहे।