नई दिल्लीः चार साल पहले की बात है। मणिपुर के दो इलाके सड़क न होने से कटे-कटे से थे। सड़क के अभाव में नदी पार करना पड़ता था। फिर घंटों पैदल चलने की मजबूरी। तब जाकर मणिपुर के दुर्गम इलाके तौसेम से तमेंगलांग के बीच की दूरी तय हो पाती थी। मरीजों को अस्पताल ले जाने के लिए भी बांस का स्ट्रेचर बनाकर नदी पार कर अस्पताल ले जाना पड़ता था। यह 30 वर्षीय आईएएस यहां के बाशिंदों की जिंदगी में मसीहा बनकर आया। सड़क के लिए बजट नहीं मिला तो सरकार से एक रुपये लिए बिना ही सौ किलोमीटर लंबी सड़क बनवा दी। जिससे स्थानीय लोग इस युवा आईएएस के कायल हो गए। सड़क को पीपुल्स रोड(जनता की सड़क) नाम दिया। जिससे कुल 31 गांवों के लोगों की जिंदगी खुशियों से भर गई। इस आईएएस का नाम है-आर्मस्ट्रांग पेम। 2009 बैच के आईएएस आर्मस्ट्रांग पेमे को मणिपुर के लोग चमत्कारी पुरुष मानते हैं।
बचपन में देखी थी कठिनाई तो दूर करने का लिया फैसला
जब 2009 में आर्मस्ट्रांग आईएएस हुए तो उनकी तैनाती तौसेम में बतौर एसडीएम हुई। आर्मस्ट्रांग ने बचपन में देखा था कि तौसेम से तमेंगलांग आने के लिए लोगों को कठिनाई से नदी पार करनी होती थी। मरीजों को बांस के स्ट्रेचर के सहारे लोग पैदल लेकर जाते थे। परेशानी दूर करने के लिए इस आईएएस ने आसपास के सभी गांवों का दौरा किया। लोगों ने परेशानी का समाधान पूछा। इस दौरान लोगों ने कहा कि अगर सौ किमी सड़क बन जाए तो तौसेम से तमेंगलांग आपस में जुड़ जाएंगे। इससे न केवल लोग आसानी से दोनों कस्बे आ -जा सकेंगे बल्कि व्यापार में भी सहूलियत होगी। किसानों को भी साग-सब्जी और अनाज बेचने में तकलीफ नहीं होगी।
बजट न मिलने पर IAS ने सोशल मीडिया से खुद जुटाया चंदा
आर्मस्ट्रांग ने जब सौ किमी रोड बनवाने का फैसला किया तो मणिपुर शासन को पत्र लिखकर बजट मांगा। मगर, सरकार से फूटी कौड़ी नहीं मिली। इससे पहले तो आर्मस्ट्रांग निराश हुए, मगर हार नहीं मानी। उन्होंने 2012 में सोशल मीडिया पर लोगों की परेशानी का जिक्र कर सड़क के लिए चंदा मांगा। सबसे पहले खुद पहल करते हुए अपने पास से पांच लाख रुपये दिया। भाई ने एक लाख दिए। इसके बाद तो देश-विदेश के कई लोगों ने चंदे देने शुरू कर दिए। यही नहीं आईएएस बेटे से प्रभावित होकर मां ने भी पेंशन के पांच हजार रुपये सड़क बनाने के लिए दान कर दिए। आखिरकार सड़क बन गई और लोगों की जिंदगी में खुशियां छा गईं।