नई दिल्ली : दिल्ली के एक छोटे से दफ्तर में बैठे ये शख्स हैं सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एमबी शाह. जस्टिस शाह ने कुछ वक्त पहले अपनी अंतरिम रिपोर्ट में सुझाव दिया था कि अगर मोदी सरकार को कालेधन पर नकेल कसनी है तो 500 - 1000 रुपये पर प्रतिबन्ध लगाना होगा.
शाह के एक सुझाव पर लिया मोदी ने ये फैसला
जस्टिस शाह का पूरा नाम मनहर लाल भीखालाल शाह है. साल 1962 में वो गुजरात हाईकोर्ट में वकालत करते थे और साल 1983 में वो गुजरात हाईकोर्ट के जज बने. यही नहीं 1998 में वह सुप्रीम कोर्ट के जज बन गए. पीएम मोदी के सत्ता में आने से पहले वह रिटायर्ड हो चुके थे. लेकिन मोदी जस्टिस शाह कि ईमानदारी और उनके फैसलों से बेहद प्रभावित थे. नतीजतन मोदी ने दिल्ली में शपथ लेने के बाद 26 मई 2014 को अपनी कैबिनेट का जो सबसे बड़ा फैसला लिया. उसमें जस्टिस शाह कि अध्यक्षता में कालेधन पर SIT टीम बना दी.
मोदी ने लगाम कसने की कमान जस्टिस शाह को सौंपी
यानि मोदी के दस्तखत से जो सरकार का सबसे बड़ा और पहला फैसला हुआ, उसके तहत शाह को कालेधन पर लगाम कसने की कमान थमा दी. यही नहीं मोदी ने शाह को दिल्ली में एक दफ्तर भी दिया और उनके सहयोगी के तौर पर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस अर्जित पसायत को SIT का उपाध्यक्ष बना दिया. सूत्रों के मुताबिक जस्टिस शाह ने सबसे पहले मोदी सरकार को बताया की कालेधन पर अगर बड़ी कार्यवाही करनी है तो सबसे पहले इनकम डिक्लेरेशन स्कीम (आईडीएस) यानि स्वेच्छा से कालाधन घोषित करने का मौका देश के धन्ना सेठों को दिया जाये.
IDS योजना के तहत पैसा देने नहीं आये धन्ना सेठ
जस्टिस शाह के खाने पर मोदी ने अपने वित्तमंत्री अरुण जेटली को आदेश दिए कि इस IDS योजना को तत्काल लागू करें और लोगों को स्वेच्छा से धन जमा करने का मौका दें. जिससे लोग अपने नंबर-2 के पैसे को सरकारी खजाने में जमा करायें. यूँ तो सरकार को अपनी IDS योजना के जरिये 65 .250 हजार करोड़ रुपये मिले. लेकिन जस्टिस शाह का मानना था कि कई बड़े धन्ना सेठ अभी भी अपने कालेधन को बख्शे में बंद करके छुपाये हुए रखे हैं.
जस्टिस शाह ने दिलाया करेंसी बदलने का हौसला
जिसके चलते शाह ने मोदी से कहा कि अगर कालेधन पर जबरदस्त कार्यवाही करनी है तो अब वक्त आ गया है कि 500 -1000 रुपये कि नोट वैन कर दी जाये. हालांकि सरकार के कुछ बड़े अफसर इतनी बड़ी संख्या में करेंसी बदलवाने को लेकर दुविधा में थे. लेकिन शाह ने हौसला दिलाया कि ये कार्यवाही देश कि अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी साबित होगी. इसलिए आम जनता को अगर थोड़ी बहुत परेशानी करेंसी बदलवाने को लेकर होती है तो भी कोई बात नहीं.
मोदी की कार्यवाही ने कसी लगाम
सूत्रों के मुताबिक मोदी ने जस्टिस शाह के इस प्रस्ताव को गंभीरता से लिया और अपने दो अफसर शक्तिकांत दास और हसमुख अधिया के साथ एक गोपनीय टीम बनायी. इसके बाद ऐतिहासिक फैसले की ओर बढ़ गए. इधर रविवार को एक इंटरव्यू में जस्टिस शाह ने मोदी सरकार की तारीफ करते हुए कहा है कि कालेधन पर हुई इस कार्यवाही से आम जनता को आगे चलकर बहुत फायदा होगा. उन्होंने कहा कि भारत कि प्रगति में समान्तर अर्थव्यवस्था कालेधन को तेजी से बढ़ा रही थी ओर मोदी की कार्यवाही ने इस आर्थिक अर्थव्यवस्था पर लगाम कस दी है.