नई दिल्लीः आखिरकार मोदी और शाह ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की कमान उस शख्स को सौंपी, जो संगठन चलाने में माहिर है। पार्टी के राष्टीय सचिव और झारखंड के इंचार्ज त्रिवेंद्र सिंह रावत को मोदी से नजदीकियों का इनाम मिला है। कभी जब मोदी संघ और भाजपा संगठन को मजबूत करने का ओहदा संभाल रहे थे, तब उत्तराखंड में रावत उनके सहयोगी हुआ करते थे। मोदी के साथ गांव-गांव घूम चुके हैं। पुराना संपर्क काम आया। मोदी को उत्तराखंड में भरोसेमंद मुख्यमंत्री चाहिए था। यह तलाश उनकी रावत पर आकर खत्म हुई। शुक्रवार को विधानमंडल दल की बैठक में रावत को विधायकों ने नेता चुन लिया। इस प्रकार रावत ने प्रकाश पंत, सतपाल महराज आदि दावेदारों को पीछे छोड़ दिया।
कद ऐसा कि हारने के बाद भी मिलती रही जिम्मेदारी
साल 2012 के विधानसभा चुनाव के बाद और 2014 में डोईवाला सीट उपचुनाव भी त्रिवेंद्र सिंह रावत हार गए। फिर भी सिंह को पार्टी संगठन में हमेशा महत्व दिया गया और उन्हें झारखंड इकाई का बीजेपी इंचार्ज बनाया गया।वह पूर्व संघ प्रचारक हैं। 56 साल के रावत धोईवाला विधानसभा सीट से आते हैं। मोदी और शाह के करीबी रावत 1983 से लेकर 2002 तक संघ से जुड़कर संगठन को विस्तार देते रहे। फिर संघ से उन्हें भाजपा में काम करने का दायित्व मिला। उत्तराखंड राज्य में रावत के पास पहले क्षेत्र की जिम्मेदारी थी लेकिन बाद में उन्हें पूरे राज्य में काम करने को कहा गया। 2002 में वह सबसे पहले धोईवाला सीट से जीते। इसके बाद वह लगातार तीन बार वहां से विधायक रहे हैं। 2007-2012 के बीच वह कृषि मंत्री भी रहे।