नई दिल्लीः जापान से लौटने के बाद प्रधानमंत्री गोवा पहुंचे तो भाषण में काले धन के कारोबारियों को चैन से न सोने देने की बात कही। संकेत दिया कि अगला निशाना अब कालेधन का ऐशगाह बन चुका रियल एस्टेट का धंधा होगा। क्योंकि कालेधन के कुबेर पैसे को या तो जमीनों के धंधे में लगाते हैं या फिर हीरा-मोती, सोना-चांदी खरीदने में। पीएमओ के करीबी सूत्र बता रहे हैं कि मोदी ने अभी सिर्फ कैश में मौजूद कालेधन पर ही सर्जिकल स्ट्राइक की है। अगली सर्जिकल स्ट्राइक बेनामी संपत्तियों के खिलाफ होने जा रही है। पकड़ में आने पर नेताओं-अफसरों, व्यापार ियों की बेनामी संपत्तियां जब्त होंगी। कहा जा रहा है कि मोदी सरकार इसी मंशा से रियल एस्टेट बिल लेकर आई है। जिससे न केवल बिल्डरों की मनमानी रोककर उपभोक्ताओं को राहत दी जाने की कोशिश है बल्कि कैश की बजाए चेक सिस्टम से भुगतान अनिवार्य कर रियल एस्टेट में कालेधन पर अंकुश लगाने की भी तैयारी है।
कैश से सिर्फ 20 प्रतिशत कालेधन पर अंकुश
अर्थव्यवस्था से जुड़े जानकार बताते हैं कि पीएम मोदी ने आठ नवंबर को पांच सौ-एक हजार रुपये के जो बड़े नोट बंद किए हैं, उससे सिर्फ 20 प्रतिशत कालेधन पर ही अंकुश लग सकता है। क्योंकि कैश में करीब 20 प्रतिशत कालाधन छुपाकर रखने के आंकड़े अनुमानित किए गए हैं।
बिल्डर्स की इनवेंट्री से खंगाला जाएगा कालेधन के कुबेर का पता
मोदी सरकार ने कुछ यूं रियल एस्टेट में कालेधन का पता लगाने की रणनीति बनाई है। जितने भी बिल्डर हैं उनकी इनवेंट्री केंद्रीय एजेंसियों के अफसर खंगालेंगे। दरअसल हर बिल्डर अपनी इन्वेंट्री में खरीदार का विवरण रखता है। मगर कालेधन के कुबेर चूंकि दूसरे नाम से प्रापर्टी खरीदते हैं, इस नाते इनवेंट्री में प्रापर्टी के मालिक के दर्ज नाम-पते को खंगाला जाएगा। संबंधित व्यक्ति से पूछताछ होगी कि क्या यह प्रापर्टी उसी की है। अगर वह इन्कार करता है तो उससे असली वारिस का नाम पूछा जाएगा। इस प्रकार केंद्रीय एजेंसियों के हाथ कालेधन के कुबेर तक आसानी से पहुंच जाएंगे।
रहते हैं दिल्ली में खरीद रखे हैं गोवा-मुंबई में दूसरों के नाम फ्लैट
दरअसल नेता, अफसर, व्यापारी, इंजीनियर, डॉक्टर, ज्वेलर्स टैक्स बचाने के लिए पहले तो बैंक में पैसा जमा नहीं करते। कैश रखते हैं। मगर हमेशा घर में कैश रखना सुरक्षित नहीं होता तो वे रियल एस्टेट में पैसा लगा देता हैं। अपने नाम से ही सारी संपत्तियां नहीं खरीद सकते। ऐसे में अपने घर के सदस्यों या फिर करीबियों के नाम पर फ्लैट, घर खरीद लेते हैं।