
नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कालेधन पर सर्जिकल स्ट्राइक से तीन राज्यों में नक्सल गतिविधियां एक झटके में फिलहाल ठप हो गईं हैं। ये राज्य हैं झारखंड, उड़ीसा और छत्तीसगढ़। पांच सौ और एक हजार रुपये के पुराने नोट बंद होने से तीनों राज्यों में कैश कलेक्शन ठप होने से नक्सली अपनी गतिविधियां आगे नहीं बढ़ा पा रहे। अपहरण कर फिरौती मांगने की घटनाएं भी नहीं हो रहीं। जिससे नक्सली इलाकों में रहने वाली जनता को फिलहाल राहत मिली है।
यूं नक्सली जुटाते थे पैसा
दरअसल नक्सली राज्यों में जितने भी व्यापार िक और विभिन्न सेक्टर के कर्मचारी संगठन हैं, उनसे नक्सली हर महीने या छमाही किश्त की रंगदारी वसूलते हैं। कुछ रईस लोग तो स्वेच्छा से नक्सलियों को हर माह आर्थिक मदद करते हैं। बदले में वे नक्सलियों के जरिए किसी को डरा-धमकाकर अपना काम निकालते हैं। इतना ही नहीं नक्सली राज्यों में सरकारी, गैर सरकारी दफ्तर और व्यापारियों की सूची रखकर उन्हें फोन घुमाकर जरूरत पड़ने पर पैसे मंगाते हैं। मगर आठ नवंबर की रात से पांच सौ और एक हजार रुपये के नोट बंद होने पर अब नक्सली न तो किसी से डरा धमकाकर पैसा मांग रहे हैं न ही अपने खैरख्वाहों से ही।
करोड़ों का जंगलों में छुपाया कैश भी नहीं बदल पा रहे
आठ नवंबर को पहले नक्सलियों ने जितना भी कैश जुटाया, उसे वे जंगलों में बंकर बनाकर छुपाते हैं। सूत्र बता रहे हैं कि तीनों राज्यों में करोड़ों का कैश फंस गया है। नक्सली खुद बैंक जाकर तो पैसा एक्सचेंज कर नहीं सकते। न ही वे किसी से डरा धमकाकर ही ब्लैक मनी को सफेद कर सकते हैं। ऐसे में जो कैश है उस पैसे का भी इस्तेमाल न तो खुद के खर्च निकाल पाने में कर पा रहे हैं या फिर हथियारों की खरीद या अन्य तरह की गतिविधियों को ही अंजाम दे पा रहे हैं। नक्सली इलाकों में क्राइम कंट्रोल से आम जन परेशान है।