नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कालाधन रोकने को लेकर बड़े नोटों को बंद करने की सर्जिकल स्ट्राइक ने कई जगह असर डाले हैं। आतंकवाद के साथ नक्सल का भी अर्थतंत्र पर चोट करने में मदद मिली है। सूत्र बता रहे हैं कि झारखंड, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों के नक्सली इलाकों में जंगलों में छुपाए करोड़ों के कैश कागज के टुकड़े हो जाने से नक्सली खासे परेशान हैं। अब कालेधन को सफेद करने के लिए नक्सली मदददार अमीरों से संपर्क करने में जुटे हैं। मगर पुलिस और खुफिया एजेंसियों की पहरेदारी से अमीर भी औकात से ज्यादा नकदी बैंकों में जमा करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
नक्सलियों का 30 लाख सफेद करने आया युवक गिरफ्तार
रांची में नक्सलियों का 30 लाख रुपये लेकर बैंक में जमा करने पहुंचे युवक को खुफिया सूचना पर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इससे साफ पता चलता है कि नक्सलियों के कैंप में किस तरह से मोदी के फैसले ने तबाही मचाई है। अगर वे करोड़ों का कैश नई नोटों में नहीं भुना पाएंगे तो फिर कई महीने तक अपनी गुजारा मुश्किल हो जाएगा।
जंगलों में बंकर बनाकर पैसा गाड़ते हैं नक्सली
नक्सलियों के कमांडर को टीम के खर्च के लिए फंडिंग होती है। हर कमांडर यह पैसा दो से तीन महीने का एडवांस रखता है। जिससे हथियारों की खरीद के साथ खाने-पीने के साजोसामान जुटाने के काम आते हैं। यह पैसा नक्सली या तो घने जंगलों में गड्ढे खोदकर बाॉक्स में रखकर गाड़ देते हैं या फिर इसके लिए बनाए गए बंकरों में रखी तिजोरियों में रखते हैं। सूत्र बताते हैं कि पांच सौ और एक हजार रुपये के नोट बंद होने से करोड़ों के कैश कागज के टुकड़े बन गए। यही वजह है कि नक्सली सदमे में हैं।