नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने जब से 'मेक इन इंडिया' के तहत मोबाइल फ़ोन के इम्पोर्ट पर कस्टम ड्यूटी 11.5 % तक बढ़ा दी और मोबाइल मेनिफ़ेक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए एक्साइज ड्यूटी 1 फीसदी तक कम की उसका असर अब दिखने लगा है। एक रिपोर्ट की माने तो नोएडा और ग्रेटर नोएडा में मोबाइल डिवाइस बनाने वाली कंपनियां बड़ी मात्रा में अपनी फैक्टरियां यहाँ खड़ी कर रही हैं। इन कंपनियों की क्षमता साल में 14 करोड़ से भी ज्यादा स्मार्ट फोन बनाने की हैं। इन मेनिफ़ेक्चर प्लांट में बनने वाले स्मार्टफोन के पार्ट अब भी चीन और ताइवान से ही आते हैं लेकिन भारत में मोबाइल डिवाइस पर लिखे 'मेड इन इंडिया' ने चीन की नींद उड़ा दी है क्योंकि चीन से बड़ी मात्रा में इम्पोर्ट होने वाले स्मार्ट फोन में भारी कटौती हुई है। चीन के अख़बारों की रिपोर्ट्स की माने तो भारत में 4G सर्विस आने के बाद चीन बड़ी संख्या में मोबाइल भारत भेजने की सोच रहा था।
स्मार्टफोन का इतना उत्पादन भारत में वर्तमान डिमांड से 40 फीसदी ज्यादा है। दूसरे शब्दों में कहें तो ग्रेटर नोएडा और नोएडा मोबाइल प्रोडक्शन के हब के रूप में अभर रहा है। इन कंपनियों में सैमसंग, कार्बन, लावा, एलजी और इंटेक्स जैसी कंपनियां हैं जो बड़ी मात्रा में मोबाइल मेनिफ़ेक्चर कर रही हैं। सैमसंग का कहना है कि भारत में बिकने वाले सैमसंग के फीचर फ़ोन से लेकर एस-7 तक नोएडा फैक्टरी में बनते हैं। वहीँ लावा, इंटेक्स और कार्बन जैसी भारतीय कंपनियों ने भी बड़ी मात्रा में अपने प्लांट नोएडा में खोले हैं।
सैमसंग की डिवाइस बनाने की क्षमता फिलहाल सबसे 40 मिलियन है। जबकि लावा की क्षमता 36 मिलियन, ऑप्टिमस- 14 मिलियन और कार्बन 7 मिलियन है। इन कंपनियों का कहना है कि वह 3,000 से 4,000 जॉब दे रही हैं। वहीँ आईटी मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद का कहना है कि सरकार इलेक्ट्रॉनिक्स के मेनिफ़ेक्चर को बढ़ाने के लिए 'मेक इन इंडिया' के तहत इसे और डेवलप करना चाहते हैं। उनका कहना है कि वर्तमान में मौजूद निवेश से तकरीबन 40000 जॉब पैदा हुए हैं। 2019-20 तक यहाँ 500 मिलियन स्मार्ट फोन तैयार किये जा सकेंगे।