देहरादून: मुरादें मांगने के लिए लोगों को मंदिरों में जाते तो ज़रूर देखा होगा आपने लेकिन, लेकिन उत्तराखंड के अल्मोड़ा और नैनीताल ज़िले में स्थित गोलू देवता के मंदिर में केवल चिट्ठी लगाने से ही मुराद पूरी हो जाती है। जी हां अपनी अलौकिक छटा के कारण पर्यटोकों के बीच प्रसिद्ध उत्तराखण्ड धार्मिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। यहां के पावन तीर्थों के चलते ही इस जगह को देवभूमि के नाम से पुकारा जाता है। इसके बारे में क्हा जाता है कि दुनिया में किसी मंदिर में इतनी घंटियां नहीं चढ़ाई गई हैं। गोलू देवता को न्याय के देवता के रूप में भी पूजा जाता है।
गोलू देवता को न्याय का देवता माना जाता है। गोलू देवता लोगों को तुरंत न्याय दिलाने के लिए बेहद प्रसिद्घ हैं। उत्तराखण्ड में कई जगह पर इनका मंदिर है। प्रेम विवाह के लिए युवक-युवती गोलू देवता के मंदिर में जाते हैं। मान्यता है कि यहां जिसका विवाह होता है उसका वैवाहिक जीवन हमेशा खुशियों से भरा रहता है।
मोदी के मंत्री ट्म्टा भी गोलू देवता के बड़े भक्त
गोलू देवता के प्रति आस्था रखने वालों में केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा भी शामिल हैं। देवता में आस्था ऐसी कि जब भी वो अपने क्षेत्र में रहते हैं वह हर रोज़ गोलू देवता के मंदिर में हाज़िरी देने जाया करते हैं। इतना ही नहीं रोज़ नंगे पैर मंदिर जाते हैं। इससे साफ ज़ाहिर होता है कि मोदी कैबिनेट का यह मिनिस्टर कितना आस्थावान है। अजय टम्टा ने खुद बताया कि गोलू देवता को न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है। खुद ही सुनिये मंत्री अजय टम्टा से गोलू देवता की कहानी ...
क्या है गोलू देवता की कहानी
गोलू देवता उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं क्षेत्र की प्रसिद्ध पौराणिक देवता हैं। अल्मोड़ा स्थित गोलू देवता का चितई मंदिर बिनसर वन्य जीवन अभयारण्य से चार किमी दूर और अल्मोड़ा से दस किमी दूर है। मूल रूप से गोलू देवता को गौर भैरव (शिव ) के अवतार के रूप में माना जाता है। कहा जाता है कि वह कत्यूरी के राजा झाल राय और कलिद्रा की बहादुर संतान थे। ऐतिहासिक रूप से गोलू देवता का मूल स्थान चम्पावत में स्वीकार किया गया है।
एक अन्य कहानी के मुताबिक गोलू देवता चंद राजा, बाज बहादुर ( 1638-1678 ) की सेना के एक जनरल थे और किसी युद्ध में वीरता प्रदर्शित करते हुए उनकी मृत्यु हो गई थी। उनके सम्मान में ही अल्मोड़ा में चितई मंदिर की स्थापना की गई। चमोली में गोलू देवता को कुल देवता के रूप में पूजा जाता है। चमोली में नौ दिन के लिए गोलू देवता की विशेष पूजा की जाती है। इन्हें गौरील देवता के रूप में भी जाना जाता है। कहा जाता है कि वह कत्यूरी के राजा झाल राय और कलिद्रा की बहादुर संतान थे। ऐतिहासिक रूप से गोलू देवता का मूल स्थान चम्पावत में स्वीकार किया गया। चमोली में नौ दिन के लिए गोलू देवता की विशेष पूजा की जाती है। इन्हें गौरील देवता के रूप में भी जाना जाता है।