नई दिल्लीः नरेंदर अब तुम्हारा गौना होने वाला है। मां हीराबेन के मुंह से यह सुनकर मोदी बोले-मां, मैं सांसारिक मायाजाल में नहीं पड़ना चाहता। मां, मैं हिमालय पर जाना चाहता हूं। जीवन की सच्चाई तलाश करना चाहता हूं। फिर भी मां समेत पूरे परिवार ने दबाव डाला तो एक दिन चुपके से नरेंद्र मोदी घर छोड़कर चले गए। दो साल हिमालय की कंदराओं में साधुओं के साथ घूमकर कठिन तपस्या की। परिणय सूत्र में बंधने के बाद भी जसोदाबेन को शादी का सुख नहीं मिल सका। इस पर मां हीराबेन सहित पूरे परिवार ने बहू जसोदाबेन के पास जाकर माफी मांगी। यह खुलासा हो चुका है कालिंदी रांदेरी की किताब नरेंद्र मोदी, द आर्किटेक्ट ऑफ मॉडर्न स्टेट' में। अगर आपको मोदी की जिंदगी के रहस्यों के बारे में जानना-समझना है तो इस किताब को जरूर पढ़िए। 2009 में पत्रकार एमवी कामत के साथ मिलकर लिखी इस पुस्तक में मोदी की जिंदगी के अनछुए पहलुओं से पर्दा उठाया गया है।मोदी के बचपन से लेकर शादी होने, सन्यासी जीवन, संघ प्रचारक बनने से लेकर उनके सियासी सफर के बारे में रोचक जानकारियां इस पुस्तक में समाई हैं। कालिंदी के मुताबिक मोदी खुद चाहते थे कि किताब में उनकी शादी को लेकर रहस्य साफ किया जाए। इसके लिए उन्होंने लेख िका को भाई सोमनाथ से सारा वाकया पूछने को कहा था।
क्यों हिमालय से वापस आए मोदी
जब हिमालय की कंदराओं पर मोदी भटक रहे थे तो उनकी एक साधु से भेंट हुई। साधु ने पूछा कि किसलिए आए हो यहां। इस पर बाल मोदी ने कहा कि वह ईश्वर की तलाश में आए हैं। जिस पर साधु ने कहा कि-बेटा तुम्हारी उम्र छोटी है, यह हिमालय की कंदराओं में भटककर तपस्या करने की उम्र नहीं है। समाजसेवा करके भी ईश्वर की प्राप्ति की जा सकती है। जिसके बाद मोदी सिर्फ एक दिन के लिए लिए घर लौटे और उन्होंने पूरे परिवार के सामने कहा कि अब वे वैवाहिक जीवन से पूरी तरह अलग होने का फैसला कर चुके हैं। जब यह बात जसोदाबेन को पता चली तो उन्होंने भी कोई विरोध नहीं किया। रजामंदी से दोनों अलग हो गए। इस बीच मोदी ने जसोदाबेन से कहा कि अब वे आगे की जिंदगी संघ और देश सेवा में बिताना चाहते हैं। किताब में कहा गया है कि जब मोदी बचपन में स्टेशन पर चाय बेचते थे, तब संघ
कार्यकर्ता चाय पीने आते थे। उसी समय से बाल नरेंद्र के मन में संघ से भी जुड़ने की इच्छा हुई थी।
जब ज्योतिषी ने हाथ देखकर कहा-यह बच्चा तो राजा बनेगा
नरेंद्र मोदी जब 12 साल के थे। तब वे गुजरात के महेसाणा जिले के वडनगर में रहते थे। उस दौरान वडनगर में एक ज्योतिषी आया तो मां हीराबेन ने नरेंद्र का हाथ दिखाने के साथ कुंडली दिखाई। कुंडली देखते ही साधु ने कहा कि बेटे के जिंदगी पर उथल-पुथल भरी होगी। ऐसे योग हैं कि या तो बेटा राजा बनेगा या फिर शंकराचार्य की तरह महान संत की उपमा मिलेगी। मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को मेहसाना में वृश्चिक लग्न कर्क नवांश वृश्चिक राशि में हुआ
मां ने कहा-मोदी की जबरन शादी कराना सबसे बड़ी भूल
कालिंदी रांदेरी कहती हैं कि- जब वे हीराबेन से मिली तो वे नरेंद्र की शादी के सवाल पर भावुक हो उठीं। आंखों में आंसू लिए बोलीं कि-उनकी शादी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल थी। क्योंकि यह शादी जबरन मोदी पर थोपी गई थी। हीराबेन के मुताबिक मोदी के पिता को भी इसका गम था कि उन्होंने नरेंद्र की मर्जी के विपरीत भी क्यों शादी कराई।