नई दिल्लीः खबर से पहले राम मनोहर लोहिया का यह बयान पढ़ना जरूरी है। लोहिया का कहना था कि-आलोचना या राजनीति क विरोध कभी जनहितों को कुठाराघात पहुंचाकर नहीं होना चाहिए। मामला ममता बनर्जी का है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता मोदी विरोध में देशहित को ही भूल गईं । नोटबंदी के बाद कैश की किल्लत से जूझ रही आम जनता को राहत पहुंचाने के लिए पश्चिम बंगाल के जिस सलबोनी प्रिंटिंग प्रेस में तीन शिफ्टों में नोटों की छपाई चल रही थी, वहां रोड़ा अटकाने का काम कर दिया। जिससे अब नोट छपाई कम हो जाने से रिजर्व बैंक भारी परेशानी में है।
ट्रेड यूनियंस ने 12 घंटे की शिफ्ट को लेकर कर्मचारियों को भड़काया
पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में आरबीआई की सहायक कंपनी भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण लिमिटेड करती है। यहां तृणमूल कांग्रेस के मजदूर संगठन इंटक का वर्चस्व है। चूंकि कैश की देश में भारी किल्लत है। ऐसे में सेना की मदद से तीन शिफ्टों में स्टाफ को लगाकर नोटों की छपाई का काम चल रहा है। स्टाफ को तीन घंटे ओवरड्यूटी यानी 12 घंटे की शिफ्ट में काम करने का फरमान जारी हुआ। ताकि नोटों की छपाई और अधिक रफ्तार से हो सके। मगर इंटक ने इसे उत्पीड़न बताकर कर्मचारियों को काम करने से मना कर दिया। जिससे कर्मचारी अब निर्धारित से अधिक घंटे काम करने से इन्कार करने लगे हैं।
40 प्रतिशत घट गई नोटों की छपाई
रिजर्व बैंक के सूत्र बता रहे हैं कि पहले सलबोनी प्रिंटिंग प्रेस से हर दिन 20 मिलियन यानी दो करोड़ नोटों की छपाई होती थी। कर्मचारी और मजदूरों के असहयोग से अब प्रोडक्शन घटकर 12 मिलियन हो गया है। स्टाफ को भड़काने में प्रिंटिंग प्रेस वर्कर्स एसोसिएशन के सेक्रेटरी नेपाल सिंह का नाम आ रहा है। नेपाल सिंह तृणमूल कांग्रेस की सलबोनी इकाई का प्रभारी भी है। उधर नेपाल सिंह का कहना है कि तय से अधिक घंटे काम से स्टाफ की सेहत और सामाजिक जिंदगी पर खराब असर पड़ेगा। इस नाते स्टाक 12 घंटे काम नहीं करना चाहता।
काम को लेकर आरोप-प्रत्यारोप
तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय सांसद शिशिर अधिकारी राजनीतिक वजह से प्रिंटिंग प्रेस के काम में असहयोग की बात से इन्कार करते हैं। कहते हैं कि तीन घंटे अधिक काम न करने का फैसला वहां के स्टाफ ने लिया है। इसमें पार्टी की कोई भूमिका नहीं हैं। जबकि प्रिंटिंग प्रेस से ही जुड़े दूसरे इम्पलाइज यूनियन बीआरबी के सुब्राता चटर्जी कहते हैं कि तृणमूल कांग्रेस की ट्रेड यूनियन की राजनीति से ही प्रिंटिंग प्रेस का काम बाधित हो रहा है।