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देहरादून: उत्तराखण्ड में यूँ तो अब किसी भी दिन चुनाव की आचार संहिता लग सकती है, लेकिन उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने वक़्त से पहले ही सरकारी प्रचार में बाज़ी मार ली है। उत्तराखण्ड आने वाली सभी ट्रेनों में हरीश रावत ने जमकर प्रचार कराया है जिसकी हलचल देहरादून से लेकर दिल्ली तक के रेलवे मुख्यालय में है। सूत्रों के मुताबिक़ बीजेपी के कुछ स्थानीय नेताओं ने इस मामले को सुरेश प्रभु के सामने भी उठाया है। स्थानीय नेताओं का कहना है कि अगर हरीश रावत का यह प्रचार प्रसार यूंही चलता रहा तो आने वाले चुनाव में बीजेपी का क्या होगा।
हरीश रावत को मात देने के लिए एक तरफ प्रदेश में भाजपा ने जम़ीन आसमान एक कर दिया, वहीं केंद्र सरकार में क़ाबिज़ बीजेपी की सरकार के मातहत आने वाले रेल में हरीश रावत ने विज्ञापने के ज़रिये सेंध लगा दी है। उत्तराखण्ड आने वाली हर ट्रेन में अब हरीश रावत की बड़ी सी तस्वीर लगी हुई है। प्रदेश के बीजेपी के नेता इसे लेकर ख़ासा चिंतित है। उनका मानना है कि अगर इस तरह से हरीश रावत का प्रचार प्रसार होगा तो लोगों के बीच में हरीश रावत एक नायक की तरह दिखेंगे जिससे बीजेपी को काफी नुक़सान हो सकता है। हालांकि प्रचास प्रसार में बीजेपी ने भी अपने पूरे घोड़े खोल दिए हैं।
अमित शाह बिछा रहे हैं शह मात की बिसात
शाह ने उत्तराखण्ड के लिए स्पेशल प्लान तैयार कर लिया है जो कि उत्तरप्रदेश की ही तर्ज पर है। दरअसल, उत्तरप्रदेश में जिस तरह से संगठन मंत्री रामलाल (जनरल सेकरेट्री), पीयुष गोयल (केंद्रीय ऊर्जा मंत्री), केशव प्रसाद मौर्या(प्रदेश अध्यक्ष यूपी) समेत विज्ञापन की दुनिया के बड़े नामों ने मिलकर रणनीति बनाई थी। ठीक उसी तर्ज पर अब उत्तराखण्ड के लिए भी प्लान तैयार हो चुका है। उत्तराखण्ड में मुद्दा चुना गया है हरीश रावत और भ्रष्टाचार। जिसके चलते ईमानदार छवि वाले अजय ट्म्टा हो या खण्ड़ूरी, या प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट हर कोई पूरी ताकत के साथ अब भाजपा का झंडा बुलंद करने में लगे हुए हैं। लेकिन भाजपा की पूरी रणनीति हरीश रावत को घेरने की है जिसके चलते पहले सीएम रावत के फाइनेन्सरों को चिन्हित किया गया। 2012 में जब उत्तराखण्ड में चुनाव होने थे उस वक़्त कांग्रेस दिल्ली में भी क़ाबिज़ थी। लेकिन अब जब 2017 में जब उत्तराखण्ड में चुनाव होने जा रहे हैं तो स्थिति ठीक उलट है यानी केंद्र में बीजेपी और प्रदेश की सत्ता में कांग्रेसी हरीश रावत। अब हर राजनीति का जानकार यही कह रहा है कि परिवर्तन यात्रा भले ही ख़त्म हो गई हो लेकिन शाह का खेल तो अब शुरू हुआ है।
2014 में अच्छे दिन का नारा देने वाले उत्तराखण्ड में गढ़ेंगे जीत का नारा
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की पब्लिसिटी कैंपेनिंग के लिए एड गुरु पीयूष पांडेय ने चर्चित जुमले गढ़कर दिए। जो कार्यकर्ताओं ही नहीं आम जन की ज़ुबान पर चढ़ गया। मसलन अच्छे दिन आएंगे और अबकी बार-मोदी सरकार। ये जुमले देने वाले पीयूष पांडेय पर फिर मोदी की टीम ने भरोसा जताते हुए उन्हें यूपी चुनाव की पब्लिसिटी कैंपेनिंग के लिए चुना है। ठीक वैसे ही उत्तराखण्ड के लिए भी पीयुष पांडे और उत्तराखण्ड में जन्में प्रसून जोशी को तैयार किया गया है और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का कहना है कि मिशन उत्तराखण्ड किसी भी क़ीमत पर जीतना है।
तीन मुद्दों पर कंपनियां करेंगी पब्लिसिटी
यूपी हो या उत्तराखण्ड मुद्दे होंगे भ्रष्टाचार, ठप विकास और सत्ताधारी दल के ख़िलाफ़ लहर। ये तीन प्वाइंट बीजेपी की शीर्ष इकाई ने बैठक में तय कर लिए है। इन्हीं तीन प्वाइंट को अमलीजामा पहनाने की ज़िम्मेदारी दोनों पब्लिसिटी कंपनियों की होगी।