मुझसे मिलने को कौन विकल,
मैं होऊँ किसके हित चंचल ?
यह प्रश्न शिथिल करता पद को,
भरता उर में विह्वलता है !
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है।
-डॉ. हरिवंशराय 'बच्चन'
17 जनवरी 2016
मुझसे मिलने को कौन विकल,
मैं होऊँ किसके हित चंचल ?
यह प्रश्न शिथिल करता पद को,
भरता उर में विह्वलता है !
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है।
-डॉ. हरिवंशराय 'बच्चन'