हरिवंश राय जी हिंदी साहित्य जगत का एक उज्जवल सितारा थे | जिन्हें आज भी स्नेह और गर्व से याद किया जाता है | इस लेख में आप (harivansh rai bachchan biography in hindi) हरिवंश राय बच्चन की आत्मकथा पढ़ेंगे -
हरिवंश राय जी की कविताओं में जीवन की वास्तविकता झलकती है , जिन्हें हम आसानी से खुद से जोड़ सकते हैं, और उन कविताओं से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ सकते हैं | 1976 में, उन्हें उनके हिंदी लेखन ने प्रेरणादायक कार्य के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था | हरिवंश राय बच्चन मुख्य रूप से अपनी कविता मधुशाला के लिए जाने जाते हैं | वर्त्तमान समय में अमिताभ बच्चन ने अपने पिता की कई कविताओं को आवाज़ दी है |
नाम हरिवंशराय बच्चन
जन्म मृत्यु 27 नवंबर 1907- 18 जनवरी 2003
पत्नी श्यामा एवम तेजी बच्चन ( shyama harivansh rai bachchan) (teji bachhan)
संतान अजिताभ एवम अमिताभ
कार्य कवी
शैली हिंदी, छायावाद
कविताये मधुशाला ,लो दिन बीता, लो रात गई
किस कर में यह वीणा धर दूँ?
कवि की वासना
जीवन की आपाधापी में
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
अँधेरे का दीपक
शैक्षणिक-योग्यता पीएचडी
कवि हरिवंश राय श्रीवास्तव यानि बच्चन जी (harivansh rai ) का जन्म 27 नवंबर ,1907 उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ के एक छोटे से गांव बापपट्टी के कायस्थ परिवार में हुआ था | यह अपने माता सरस्वती देवी और पिता प्रताप नारायण श्री वास्तव के बड़े बेटे के रुप में जन्में थे। बचपन से सब उन्हें बच्चन कहकर बुलाते थे | बाद में इसी नाम से दुनिया हरिवंश जी को पहचानने लगी |
हरिवंश जी की शिक्षा -
हरिवंशराय जी शुरुआती शिक्षा कायस्थ स्कूल से हुई। बाद में उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई प्रयाग में रहकर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से की। इस यूनवर्सिटी में कुछ समय तक उन्होंने प्रोफेसर के तौर पर भी काम किया। इस दौरान वे देश की स्वतंत्रता के लिए महात्मा गाँधी से भी जुड़े. लेकिन थोड़े ही समय में उनको ये अहसास हुआ कि वे ज़िन्दगी में कुछ और करना चाहते है और वे फिर बनारस यूनिवर्सिटी चले गए.1952 में इंग्लिश लिटरेचर में PHD करने के लिए इंग्लैंड की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी चले गए | इसके बाद हरिवंश जी अपने नाम के आगे श्रीवास्तव की जगह बच्चन लगाने लगे |
हरिवंश राय बच्चन जी के बारे में कुछ ख़ास बातें -
1. हरिवंश राय बच्चन का असली नाम हरिवंश राय श्रीवास्तव था |
2. वे दूसरे भारतीय थे, जिन्हें कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से इंग्लिश लिटरेचर में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त हुई थी |
3. हरिवंश जी को सभी बचपन से "बच्चन" कहकर बुलाते थे |
4. वह हिंदी में बच्चन नाम से ही अपनी रचनाएं लिखते थे, बच्चन का अर्थ होता है - बच्चा या संतान |
5. उन्होंने भारत सरकार में भी हिंदी विशेषज्ञ के तौर पर काम किया था |
हरिवंश बच्चन का वैवाहिक जीवन -
1926 में हरिवंश राय ने श्यामा ( 14year ) से शादी की , जो महज 24 साल की उम्र में TB की बीमारी के चलते दुनिया को अलविदा कह गयीं | फिर 1942 में हरिवंश राय जी ने तेजी सूरी से शादी की, जिनसे उन्हें 2 बेटे अमिताभ और अजिताभ हुए. | अमिताभ बच्चन जो कि आज मशहूर सुपरस्टार के रुप में बॉलीवुड में राज कर रहे हैं, तो वहीं अजिताभ एक सफल बिजनेस मैन हैं।
हरिवंश राय को मिले सम्मान एवं पुरुस्कार-
1. हरिवंश जी को 1976 में हिंदी साहित्य में इनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया |
2. हरिवंश राय जी को सरस्वती सम्मान, नेहरू अवार्ड, और लोटस अवार्ड से भी सम्मन्ति किया गया है |
3. हरिवंशराय जी ने शेक्सपियर की Macbeth and Othello को हिंदी में रूपांतरित किया जिसके लिए उन्हें सदैव स्मरण किया जाता है |
4. इसी तरह नवम्बर 1984 में उन्होंने अपनी आखिरी कविता लिखी “एक नवम्बर 1984” जो इंदिरा गांधी हत्या पर आधारित थी।
हरिवंश राय बच्चन की रचनायें -
1. हरिवंश राय बच्चन हिंदी भाषा के एक मशहूर कवि और लेखक थे, उनकी बहुत सी रचनायें हिंदी सिनेमा जगत में भी इस्तमाल की गयी हैं |
2. बच्चन जी की सबसे प्रसिद्ध रचना "मधुशाला" रही है | जो उन्होंने उमर खैय्याम की रूबाइयों से प्रेरित होकर लिखी थी |
3. मुख्य कृतियां निशा निमंत्रण, मधुकलश, मधुशाला, सतरंगिनी, एकांत संगीत, खादी के फूल, दो चट्टान, मिलन, सूत की माला एवं आरती व अंगारे है |
बच्चन जी की कुछ प्रसिद्ध कवितायेँ (harivansh rai bachchan poems) -
1. हरिवंश जी की प्रसिद्ध कविता "मधुशाला" (madhusala poem )का कुछ भाग यहाँ पढ़ें -
1. मैं मधुबाला मधुशाला की,
मैं मधुशाला की मधुबाला!
मैं मधु-विक्रेता को प्यारी,
मधु के धट मुझ पर बलिहारी,
प्यालों की मैं सुषमा सारी,
मेरा रुख देखा करती है
मधु-प्यासे नयनों की माला।
मैं मधुशाला की मधुबाला!
2. इस नीले अंचल की छाया
में जग-ज्वाला का झुलसाया
आ कर शीतल करता काया,
मधु-मरहम का मैं लेपन कर
अच्छा करती उर का छाला।
मैं मधुशाला की मधुबाला!
3. मधुघट ले जब करती नर्तन,
मेरे नूपुर के छम-छनन
में लय होता जग का क्रंदन,
झूमा करता मानव जीवन
का क्षण-क्षण बनकर मतवाला।
मैं मधुशाला की मधुबाला!
4. मैं इस आँगन की आकर्षण,
मधु से सिंचित मेरी चितवन,
मेरी वाणी में मधु के कण,
मदमत्त बनाया मैं करती,
यश लूटा करती मधुशाला।
मैं मधुशाला की मधुबाला!
2. हरिवंश राय बच्चन की कविता - अग्निपथ (agneepath poem) -
वृक्ष हो भले खड़े, हो घने हो बड़े, एक पत छाव की |
मांग मत, मांग मत, मांग मत ||
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ |||
तू न थकेगा कभी, तू न थमेगा कभी, तू न मुड़ेगा कभी |
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ ||
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ |||
ये महान दृश्य है, चल रहा मनुष्य है, अश्रु स्वेद रक्त से |
लथपथ, लथपथ, लथपथ ||
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ ||
हरिवंश राय बच्चन की क़िताबें (harivansh rai bachchan books) -
1. सतरंगिनी
2. दो चट्टानें
3. मधु कलश
4. मिलान यामिनी
5. नीली चिड़िया
हरिवंश राय बच्चन का निधन -
बच्चन जी 18 जनवरी 2003 को 95 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए | हरिवंश जी ने अपना अंतिम समय बम्बई में बिताया | वे दुनिया से चले गए लेकिन अपनी रचनाओं और कृतियों के जरिये वो आज भी हम सब के बीच ज़िंदा हैं | हिंदी साहित्य का वो उज्जवल सितारा जिसने हम सबको अपनी रचनाओं का अनमोल तोहफा दिया है|
हमें गर्व है कि हमारे देश की भूमि पर "हरिवंश राय" जैसे महान कवि ने जन्म लिया ,और हम सबको इसका सम्मान करना चाहिए |
“क्या भूलूँ क्या याद करूँ”
अगणित उन्मादों
के क्षण हैं,
अगणित अवसादों के
क्षण हैं,
रजनी की सूनी की
घडियों को किन-किन से आबाद करूं मैं!
“क्या भूलूँ क्या याद करूँ” मै
याद सुखों की आसूं लाती,
दुख की, दिल भारी कर जाती,
दोष किसे दूं जब अपने से, अपने दिन बर्बाद करूं मैं!
दोनो करके पछताता
हूं,
सोच नहीं,
पर मैं पाता हूं,
सुधियों के बंधन से कैसे अपने को आबाद करूं मैं!
डॉ० हरिवंशराय ‘बच्चन’