देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यालय की कैंटीन में चाय चाय नाश्ते का हर माह का बिल चार लाख का बना है। सीएम हरीश रावत के कार्यकाल के दौरान फरवरी 2014 से जुलाई 2016 तक बीजापुर और सचिवालय की दो कैंटीन्स में चाय नाश्ते का बिल करीब डेढ़ करोड़ का है। यह मामला बाहर आते ही बीजेपी ने हरीश रावत को चारों तरफ से घेरना शुरू कर दिया है। यह खुलासा बीजेपी नेता अजेंद्र अजय ने आरटीआई से मिली जानकारी के बाद किया है।
वित्तीय संकट है तो फिर यह फिज़ूल ख़र्ची क्यों
भाजपा का कहना है कि सीएम हरीश रावत एक तरफ हर रोज़ केंद्र से पैसा नहीं मिलने का रोना रो रहे है। जबकि दूसरी तरफ उनका कार्यालय हर माह लाखों रुपये चाय नाश्ते पर खर्च कर रहा है। जनता के पैसे का इससे अधिक दुरुपयोग नही हो सकता है। बीजेपी नेता अजेंद्र अजय ने सीएम की कैंटीन के इस खर्च को जनता की गाढ़ी कमाई के दुरूपयोग करने का आरोप लगाया हैं। बीजापुर कैंटीन में फरवरी 2014 से जुलाई 2016 तक 77 लाख से अधिक का बिल भुगतान किया गया है। सरकार एक तरफ वित्तीय संकट की बात कर रही है।
बीजेपी का आरोप है कि सरकार एक तरफ प्रदेश पर वित्तीय संकट की बात कह रही है। जबकि लाखों रुपये चाय नाश्ते में सीएम खर्च कर रहे हैं। आरटीआई में मिली सूचना के मुताबिक, सीएम के सचिवालय स्थित कार्यालय में फरवरी 2014 से जून 2016 तक का बिल 67 लाख से अधिक का है। सचिवालय में सीएम का आना भी कम ही रहता है, लेकिन औसत ढाई लाख का बिल इसी कैंटीन का बन रहा है।
राज्य संपत्ति विभाग की और से दी जानकारी के मुताबिक़ यह खर्च सीएम कार्यालय की कैंटीन का है जिसमें भोजन और जलपान आदि का खर्च शामिल है। सीएम हरीश रावत के बीजापुर स्थित दूसरे कार्यालय में बिल सचिवालय से भी लंबा चौड़ा है। बीजापुर कैंटीन में भोजन और जलपान की मासिक खर्च की औसत पौने लाख है।