नई दिल्ली : भले ही सीएम अखिलेश यादव यूपी में अपनी पार्टी को विकास के काम कराकर दोबारा सरकार बनाने का सपना देख रहे हो. लेकिन समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम यह बात जान चुके हैं कि सूबे में फिर से सपा की सरकार बनाना आसान ही नहीं बल्कि ना मुमकिन है. इसीलिए मुलायम पार्टी के कराये गए विकास कार्यों के साथ मुस्लिम वोट बैंक का भी ट्रंप कार्ड खेल ने की फ़िराक में हैं.
बाप -बेटे में नहीं बन रही है सहमति
सूत्रों के मुताबिक बाप- बेटे के बीच कई मतभेदों के बाद भी पूर्वांचल के माफिया सरगना मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का विलय सपा में कर लिया गया हो, लेकिन मुख्तार की एंट्री को लेकर अभी भी अखिलेश और मुलायम में सहमति नहीं बन पा रही है. बताया जाता है कि मुलायम सिंह ये बात अच्छी तरह जानते हैं की जब तक वह मुख्तार अंसारी की पार्टी में एंट्री नहीं कराएंगे, तब तक उनकी पार्टी को पूर्ण रूप से पूर्वांचल में जनाधिकार नहीं मिल सकेगा.
सपा को जरुरत है मुख्तार की
सूत्रों के मुताबिक राजनीति के माहिर खिलाडी माने जाने वाले मुलायम सिंह यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि इस बार यूपी के विधानसभा चुनाव अखाड़े में जहां बीजेपी भी उनसे दो- दो हाथ आज़माने के लिए सामने खड़ी है वहीँ बसपा भी उन्हें बड़ा नुकसान पहुंच सकती है. ऐसे में अगर पूर्वांचल की अधिक से अधिक सीटें चुनाव में जीतनी हैं तो उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करना ही पड़ेगा.
मुलायम को मालूम है मुख्तार दिला सकता है सीटें
लेकिन सीएम अखिलेश अपने बाप की इस रणनीति को अभी तक ठीक से समझ नहीं पा रहे हैं. जिसके चलते वह मुख्तार की एंट्री को लेकर अपनी सहमति नहीं दिखा रहे हैं. पार्टी के जानकर लोग बताते हैं कि मुख्तार अंसारी की समाजवादी पार्टी में देर सबेर एंट्री तो होनी ही है. दरअसल सूबे में 30 साल बाद अपनी खोई हुई जमीन को हासिल करने के लिए कांग्रेस भी सक्रिय दिखाई दे रही है.
सपा में होगी मुख्तार की एंट्री
इसी तरह बसपा भी सपा का मुस्लिम वोट बैंक कब्जियाने के चक्कर में है. फिलहाल ऐसे में मुलायम जानते हैं कि अगर पूर्वांचल का मुस्लिम वोट बैंक हथियाना है तो मुख्तार को पार्टी में लाना ही होगा. दरअसल बाहुबली मुख्तार का पूर्वांचल के कई इलाकों में खास दबदबा है, जिसके चलते वह जिस ओर इशारा कर देते हैं वोट उस पार्टी की झोली में मुस्लिम मतदाता डालते हैं.