लखनऊ : यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से नजदीकियां क्यों बढ़ाना चाह रही हैं मुलायम की छोटी बहू अपर्णा यादव. दरअसल इसके पीछे कई राज छिपे हैं. पहला तो यह कि अपर्णा यादव सीएम योगी से अपनी रिश्तेदारी और नातेदारी जोड़कर समाजवादी पार्टी की सरकार में हुए घोटालों पर से पर्दा हटना नहीं देना चाहती हैं. जिसके चलते पहले वह अपने पति प्रतीक यादव को लेकर सीएम से मिलने वीवीआईपी गेस्ट हाउस पहुंची थीं और अब उन्हें अपनी गौशाला बुलाकर उनसे संबन्ध प्रगाढ़ करने में लगी हैं. बताया जाता है कि सपा सरकार में हुए कई बड़े घोटालों से वैसे तो अपर्णा का खुद का कुछ लेना देना नहीं है, लेकिन वह अपने करीबियों पर किसी तरह की आंच ना आये, इसलिए सीएम योगी से नजदीकियां बनाने की पूरी कोशिश कर रही हैं.
कहीं अपने खास चहेतों को बचाना तो नहीं चाहती अपर्णा
सूत्रों के मुताबिक यूपी की कमान सीएम योगी को मिलते ही एलडीए में तैनात उनकी माँ और मुलायम की समधन अंबी बिष्ट ने फिर से अपने विभाग में सपा की सरकार जाने के बाद ये हवा बना दी कि अब तो उनके भाई योगी आदित्यनाथ यूपी के सीएम बन गए हैं. आपको बता दें कि अपर्णा की माँ पहाड़ में गढ़वाल की रहने वाली हैं और योगी भी पहाड़ के रहने वाले हैं. यही नहीं गढ़वाल के रहने वाले होने के कारण अपर्णा की माँ ने तुरन्त उन्हें अपनी रिश्तेदारी निकालकर भाई कह दिया. लेकिन सीएम योगी ने बचपन में ही अपना घर छोड़कर भगवा चोला धारण कर लिया था. इसलिए वह पहले घरवालों की बजाय समाज का कल्याण करने की ज्यादा सोचते हैं.
मुलायम की बहू अपर्णा क्यों सीएम योगी से जोड़ रही हैं रिश्तेदारी ?
इसीलिए जब मुलायम की समधन की दाल इस रिश्तेदारी से नहीं गली तो उन्होंने अपने दामाद के साथ अपनी बेटी को उनसे मिलने के लिए गेस्ट हाउस भेज दिया. बताया जाता है कि अपर्णा यादव सीएम योगी से गेस्ट हाउस में यूँ ही मिलने नहीं चली गयी थीं. इसके पीछे वजह साफ है कि सपा सरकार में हुए घोटाले कि कहीं योगी जाँच ना शुरू करा दें. इसलिए अपर्णा अपनी माँ अंबी बिष्ट, सपा से राज्य सभा सांसद संजय सेठ और एलडीए उपाध्यक्ष सत्येन्द्र सिंह यादव को बचाना चाहती हैं. बताया जाता है कि फर्जी रजिस्ट्री के मामले में मृतक के स्थान पर फर्जी गवाही देने वाले दो झूठे गवाहों को पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. ये मुकदमा पिछले साल ठाणे में दर्ज किया गया था. यही नहीं इस फर्जी रजिस्ट्री के लिए एलडीए के बाबू विवेक आनंद और अंबी बिष्ट भी उतने ही दोषी हैं, लेकिन मुलायम की समधन होने के कारण पुलिस ने अब तक उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की है.
क्या बीजेपी में अपना नया घर तलाश कर रहीं हैं अपर्णा ?
यही नहीं ऐसी दर्जनों रजिस्ट्रियां एलडीए में बसपा सरकार और सपा सरकार के कार्यकाल में हुई हैं. बताया जाता है कि एलडीए उपाध्यक्ष सत्येन्द्र सिंह कि पोस्टिंग कराने में भी अंबी बिष्ट का अहम् रोल रहा है. जानकारों के मुताबिक अंबी ने अपने दामाद प्रतीक यादव से कहकर उन्हें एलडीए का उपाध्यक्ष नियुक्त कराया था. उनकी तैनाती के बाद से अंबी की पांचों उंगुलियां घी में रहीं तो सत्येन्द्र ने भी जमकर अपने निजी स्वार्थ हल किये. इतना ही नहीं मुलायम के छोटे बेटे प्रतीक यादव के बिजनेश पार्टनर कहे जाने वाले संजय सेठ ने भी पिछले कुछ सालों में जमकर सपा सरकार में नियमों के विरुद्ध काम कराये हैं. फिलहाल अपर्णा सीएम योगी से इन सब मामलों को लेकर जहाँ नजदीकियां बढ़ाने में लगीं हैं, वही सत्ता के गलियारे में इस बात की चर्चा जोरों पर चल रही है कि वह बीजेपी में अपना राजनीति क घर तलाश कर रही हैं.