नई दिल्लीः दो दिन पहले सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने यूपी विधानसभा चुनाव के लिए सीएम दावेदार का फैसला विधायकों की मंशा से घोषित करने की बात कही तो सियासी आग शांत होने की बजाए और भड़क गई। अब इस आग में रामगोपाल के सपा मुखिया को लिखे लेटर ने घी का काम किया है। रामगोपाल ने कहा है कि अखिलेश यादव को सीएम दावेदार घोषित किए बगैर चुनाव लड़ने पर पार्टी को बड़ा नुकसान होगा।
खुद पहुंचे मुलायम ने की तीन घंटे मीटिंग
जब प्रो. रामगोपाल यादव ने सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव को पत्र लिखा तो मामले की नजाकत को भांपते हुए मुलायम खुद दिल्ली स्थित रामगोपाल के घर पहुंचे और पूरे तीन घंटे तक मंत्रणा करते रहे। इस दौरान रामगोपाल ने अखिलेश की छवि को आगे रखकर चुनाव लड़ने पर ही पार्टी को सफलता मिलने की बात कही। बता दें कि समाजवादी पार्टी के 25 साल पूरे होने पर पांच नवंबर को सिल्वर जुबली होनी है। इस बाबत बीते दिनों मुलायम सिंह यादव ने प्रेस कांफ्रेंस की थी तो पत्रकारों ने पार्टी की ओर से सीएम दावेदार का सवाल किया था। इस पर मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि चुनाव में पार्टी के जीतने के बाद नियमसम्मत तरीके से विधायकों की बैठक में मुख्यमंत्री का चुनाव होगा।
क्यों बैचेन हो गए रामगोपाल
2012 में अगर अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने तो यह रामगोपाल की ही देन थी। अगर रामगपोल ने अखिलेश के राजनीति क भविष्य संवारने की बात नेताजी यानी मुलायम के कानों में न फूंकी होती तो मुलायम शिवपाल को मुख्यमंत्री बनाकर खुद केंद्र की सियासत में सेट होने जा रहे थे। मगर शिवपाल की सलाह उन्हें जंच गई। लगा कि अगर अपने जीते जी वे बेटे अखिलेश को पार्टी का वारिस नहीं बना पाए तो बाद में अखिलेश के लिए मुश्किल होगी। दरअसल रामगोपाल की चचेरे भाई शिवपाल से नहीं पटती। रामगोपाल को हमेशा डर सताता है कि संगठन और सरकार पर शिवपाल हावी हुए तो उन्हें हाशिए पर डाल देंगे। यही वजह है कि रामगोपाल शिवपाल की हर चाल का जवाब ढूंढते रहते हैं। इस बीच जब मुलायम सिंह यादव ने विधायक चुनेंगे मुख्यमंत्री का राग अलापकर शिवपाल की हसरतों को जिंदा कर दिया तो रामगोपाल बेचैन हो गए।