लखनऊ : उत्तर प्रदेश चुनावों से पहले से चल रहा समाजवादी पार्टी और परिवार में घमासान का जिन्न एक बार फिर अपनी बोतल से बाहर आ सकता है. सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सौतेली मां साधना यादव ने बयान दिया है कि वह अब फ्रंटफुट पर काम करेंगी और खुल कर अपना पक्ष रखेंगी. इस बयान से एक बार फिर सपा परिवार में जंग तेज हो सकती है.
क्या हैं बयान के मायने ?
चुनावों से पहले यह कहा जा रहा था कि अखिलेश हमेशा से ही साधना यादव, प्रतीक यादव व अपर्णा यादव का राजनीति में आने पर विरोध करते रहे हैं. सपा परिवार में झगड़े का यह एक मुख्य कारण था. लेकिन मुलायम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव के दबाव में अखिलेश यादव को अपर्णा यादव को टिकट देना पड़ा था, अपर्णा यादव ने लखनऊ कैंट से चुनाव लड़ा है. अगर प्रतीक भी राजनीति भी आते हैं, तो एक बार फिर अखिलेश का विरोध बढ़ सकता है.
मुलायम के कुनबे में बेटे को बराबरी का दर्जा दिलाने की कोशिश
प्रतीक आए राजनीति में तो ! साधना ने अपने बयान में कहा कि वह चाहती हैं कि प्रतीक यादव राजनीति में आएं. गौरतलब है कि प्रतीक अभी तक राजनीति से दूर रहे हैं, वह अपने जिम को ज्यादा तवज्जो देते आएं हैं. एक ओर जहां अपर्णा यादव विधानसभा का चुनाव लड़कर राज्य की राजनीति में आ गई हैं, तो वहीं साधना यादव प्रतीक यादव को भी राजनीति में लाकर अपने परिवार के दखल को ओर बढ़ाना चाहती हैं.
क्या प्रतीक को स्वीकार करेंगे सपाई?
प्रतीक यादव मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना यादव के बेटे हैं. अगर प्रतीक राजनीति में आते हैं, तो सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होगा कि क्या समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह यादव के समर्थक अखिलेश यादव की तरह ही उन्हें स्वीकार करेंगे. सपाइयों ने अखिलेश को तो अपने दिल में जगह दी है, लेकिन क्या वही समर्थन प्रतीक को भी मिल पाएगा. प्रतीक कभी भी किसी राजनीतिक कार्यक्रम में नहीं गए हैं.