नई दिल्ली : मुंबई के एक संयुक्त परिवार ने 2 लाख करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति का खुलासा कर अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है. जिसके चलते आयकर विभाग ने इस खुलासे को ख़ारिज कर इसकी जांच शुरू कर दी है. दरअसल मुंबर्इ के जिन चार परिवार ने यह खुलासा किया है. उन पर आयकर विभाग को ये संदेह है कि कहीं इन व्यक्तियों के जरिये कोई और तो नहीं अपने कालेधन को सफ़ेद करने की कोशिश कर रहा है.
दूसरे की संपत्ति को अपनी बताने वाले फंसे
फिलहाल संदेह के घेरे में आये इन परिवारों की अघोषित की गयी दौलत की अब आयकर विभाग ने जांच पड़ताल शुरू कर दी है. सूत्रों के मुताबिक आईटी की एक महत्वपूर्ण जांच के बाद यह सामने आया है क़ि इतनी बड़ी संपत्ति का खुलासा किया वे संदिग्ध हैं. यही नहीं इस प्रकरण क़ि जांच कर रही टीम को ये भी अंदेशा है कि शायद इन लोगों का दुरुपयोग किया गया हो. इस रकम का खुलासा करने वाले परिवार के सदस्यों के नाम अब्दुल रज्जाक मोहम्मद सैयद(खुद), मोहम्मद आरिफ अब्दुल रज्जाक सैयद(बेटा), रूखसाना अब्दुल रज्जाक सैयद (पत्नी) और नूरजहां मोहम्मद सैयद(बेटी) हैं.
शाह को आईटी ने शनिवार को गिरफ्तार किया
इससे पहले अहमदाबाद के रहने वाले महेश कुमार चंपकलाल शाह ने 13860 करोड़ रुपये की संपत्ति का एलान किया था. शाह को तीन दिसंबर को आयकर विभाग ने हिरासत में ले लिया था. मुंबई और अहमदाबाद में किए गए खुलासों की जांच की जा रही है और यहां की रकम को एक अक्टूबर को जारी किए गए आंकड़ों में शामिल नहीं किया गया था. सरकार की ओर से एक अक्टूबर को बताया गया था कि 65250 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति का खुलासा हुआ है. बाद में इसमें सुधार कर आंकड़ा 67382 करोड़ रुपये बताया गया था. मालूम हो क़ि केंद्र सरकार ने अघोषित आय का ख्ुालासा करने के लिए योजना शुरू की थी.
सरकार ने शुरू की थी स्कीम
इस योजना के तहत 30 सितंबर तक सरकार को 45 प्रतिशत टैक्स देकर अघोषित आय घोषित की जा सकती थी. इसके तहत अघोषित आय पर टैक्स चुकाने के बाद आय की स्वैच्छिक करने वाले पर आयकर विभाग की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं होनी थी. गुजरात के कारोबारी महेश शाह ने योजना के आखिरी दिन 13 हजार करोड़ रुपये अघोषित आय की जानकारी आयकर विभाग को दी थी. शाह को टैक्स की 975 करोड़ रुपये की पहली किश्त 30 नवंबर तक चुकानी थी.
शाह करेंगे वास्तविक लोगों के नाम का खुलासा
जब आयकर विभाग ने जांच की तो पाया कि शाह ने अहमदाबाद के कई बड़े कारोबारियों के कालेधन को अपना बताकर आय की स्वैच्छिक घोषणा के तहत घोषित किया था. बाद में उन्होंने बताया कि कमीशन के लालच में इस रकम को अपना बताया था. वे आयकर विभाग के सामने वास्तविक लोेगों के नामों का खुलासा करने की बात अपनी गिरफ्तारी के बाद आयकर विभाग के अफसरों से कह रहे थे.