देहरादून: देवभूमि उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर 'धरने' पर केवल इसलिए बैठ गए क्योंकि उन्हें बैठने के लिए मनचाही कुर्सी नहीं मिली। जी, उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति पीयूष कांत दीक्षित पिछले कुछ दिनों से अपने ऑफिस के फर्श पर गद्दा बिछाकर बैठते हैं। इस अनोखे अंदाज़ से वह मनचाही कुर्सी न दिए जाने को लेकर विश्वविद्यालय के ख़िलाफ़ विरोध जता रहे हैं। दीक्षित ने विश्वविद्यालय के वित्त विभाग से 60,000 रुपये कीमत वाली ब्रैंडेड कुर्सी की मांग की थी। उन्होंने विभाग को लिखा था, 'एक (ब्रैंड नाम) कुर्सी ही गुणवत्ता के मानकों पर खरी है और इससे आराम के साथ स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है।'
उन्होंने बताया, 'मैंने स्पष्ट रूप से फाइल में लिखा है कि क्यों ऐसी कुर्सी चाहिए। पिछले एक महीने से कुर्सी न होने की वजह से मैं घर से गद्दा लाकर बिछाकर बैठ रहा हूं और वहीं बैठकर सारे काम कर रहा हूं।' उन्होंने कहा कि जबतक मनचाही कुर्सी नहीं मिल जाती, यह सब जारी रहेगा।
पिछले कई दिनों से टूटी हुई थी कुर्सी
दरअसल, उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर बैठे प्रो. पीयूष कांत दीक्षित की कुर्सी पिछले कई दिनों से टूटी हुई थी और इसकी शिकायत उन्होंने विवि के वित्त विभाग से की थी। दीक्षित की मानें तो उन्होंने कई महीनों से इस कुर्सी को लेकर पत्राचार किया हुआ था कि उनके ऑफिस की यह कुर्सी बदली जाए लेकिन मामला फाइलों में ही उलझ कर रह गया।
हालांकि, जब इस मामले में विश्वविद्यालय के फाइनैंशल कंट्रोलर तांज़िम अली से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि इतनी महंगी कुर्सी खरीदी जा सके। उन्होंने कहा, 'हमें शिक्षकों को वेतन देने के लिए भी छात्रों से उधार लेना पड़ रहा है। मुझे नहीं लगता कि किसी भी अधिकारी को ऐसा महंगा फर्निचर प्रयोग में लाना चाहिए।' हालांकि उन्होंने कहा कि VC की मांग के अनुसार कुर्सी का ऑर्डर दे दिया गया है और जल्द ही कुर्सी आ जाएगी।