नई दिल्ली : सेना के एक रिटायर सूबेदार की खुदकशी पर पूछे गए सवाल को हंसकर भले ही टाल गए हों गृहमंत्री राजनाथ सिंह लेकिन बीजेपी में दबी जबान में चर्चा है कि मोदी सरकार की छीछालेदर कराना चाह रहे थे मोदी के मंत्री.
दरअसल एक छोटी से घटना को न सिर्फ तिल का ताड़ बनने दिया गया बल्कि मोदी सरकार के बड़े बड़े मंत्री अपनी नाक के नीचे दिन भर तमाशा देखते रहे और मोदी के खिलाफ हो रही दिल्ली के सड़कों पर नारेबाजी की उन्हें तकलीफ महसूस नही हुई.
गृह मंत्री राजनाथ सिंह हों या वित्त मंत्री अरुण जेटली या फिर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज या परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, ये सभी महारथी राहुल गाँधी और अरविन्द केजरीवाल की पुलिस से नोकझोंक का तमाशा देखते रहे. इनमे से किसी ने पीएम को यह सलाह नही दी कि मामला संवेदनशील है और अगर इसे गंभीरता से नही सुलझाया गया तो अनायास सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठेगे.
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि राजनाथ अगर सीधे हस्तक्षेप करते तो पुलिस कमिश्नर सुबह सुबह ही इस घटना को इतना बड़ा न होने देते. लेकिन हद तो ये थी कि पुलिस कमिश्नर भी मौन धारण किये रहे. ये 'मिसहैंडलिंग' वैसी ही थी जैसे अन्ना आंदोलनं में तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम ने केजरीवाल और अन्ना को ज़रा सी बात पर गिरफ्तार करवा कर उन्हें बड़ा बना दिया था.
मोदी के मन्त्रीमण्डल में कोई खुद फैसला नही लेना चाहता
दरअसल मोदी के मन्त्रीमण्डल में कोई खुद फैसला नही लेना चाहता. मोदी की छवि को नुक्सान भी हो जाए तो भी उनके मंत्री तटस्थ ही रहतें हैं. राजनाथ से एक प्रेस कांफ्रेंस पर जब सवाल पूछा गया कि राहुल गाँधी और केजरीवाल को हिरासत में क्यों लिया गया तो राजनाथ ने सवाल हंसकर टाल दिया जैसे इस मामले से उनका कोई लेना देना ना हो. दरअसल राजनाथ ये जताने की कोशिश कर रहे थे कि राहुल या केजरीवाल को हिरासत में लिए जाने का फैसला दिल्ली पुलिस का था और सरकार से उसका कोई मतलब नही था. लेकिन उनकी ये दलील बहुत कम लोगों के गले से उतरेगी क्योंकि राहुल गाँधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को गिरफ्तार करना, सिर्फ पुलिस का फैसला नही कहा जा सकता है. बहरहाल पूरे घटनाक्रम से मोदी सरकार का जवानों के प्रति समर्पण का दावा और उनके लिए किये जा रहे प्रयास पर झटका लगा है.