देहरादून: इंडिया रिजर्व बटालियन(आइआरबी) व पीएसी के कर्मचारियों की दरोगा रैंकर्स बनने की हसरत का रास्ता नैनीताल हाईकोर्ट ने किया साफ। मुख्य न्यायाधीश केएम जोसफ व वरिष्ठ न्यायाधीश वीके बिष्ट की खंडपीठ ने उनकी विशेष अपील स्वीकार करते हुए एकल पीठ का आदेश निरस्त कर दिया है। फैसले से पुलिस कर्मियों में खुशी की लहर दौड़ गई है। दरअसल पुलिस कर्मी मोहन सिंह व अन्य ने याचिका दायर कर कहा था कि इंडिया रिजर्व बटालियन व पीएसी सिविल पुलिस का हिस्सा नहीं है, मगर राज्य सरकार द्वारा पीएसी व रैंकर्स दरोगा पद की पदोन्नति प्रक्रिया में शामिल कर लिया। इस वजह से सिविल पुलिस के अभ्यर्थी पदोन्नति से वंचित रह गए। एकल पीठ ने याचिकाकर्ता के तर्कों को स्वीकार करते हुए साफ किया था कि आइआरबी व पीएसी सिविल पुलिस के अंग नही हैं।
नैनीताल की एकलपीठ के इस आदेश को अभ्यर्थी रवि बिष्ट और कई लोगों द्वारा विशेष अपील के जरिये चुनौती दी गई। जिसमें कहा गया था कि आईआरबी व पीएसी की ट्रेनिंग, सेवा शर्तें, सिविल पुलिस के समान हैं, इसलिए उन्हें भी पदोन्नति प्रक्रिया में शामिल किया जाए।
हाईकोर्ट की एकल खंडपीठ ने सिविल पुलिस, पीएसी व आरआरबी के दरोगा रैंकर्स के सफल अभ्यर्थियों को इस आधार पर ट्रेनिंग पर भेजने के निर्देश दिए थे कि प्रशिक्षण अदालत के अंतिम फैसले के अधीन रहेगी। खंडपीठ के इस फैसले को मोहन सिंह तोमक्याल व अन्य द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के आदेश पारित करते हुए मामला उत्तराखंड हाई कोर्ट को स्थानांतरित कर दिया, साथ ही छह माह के भीतर मामला निस्तारित करने के निर्देश सर्वोच्च अदालत द्वारा दिए गए थे।