नई दिल्ली : दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग के अचानक इस्तीफे ने हर किसी की चौंकने पर मजबूर कर दिया है। खबरों की माने तो जंग ने पारिवारिक वजहों से इस्तीफ़ा दिया लेकिन राजनीति क गलियारों में यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि दिल्ली के एलजी को इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। चर्चा है कि केंद्र सरकार के दबाव के चलते ही जंग को इस्तीफ़ा देना पड़ा।
कहा जा रहा है कि जंग के इस्तीफ़ा का कारण वही आरोप बने तो बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी उनपर लगातार लगाते रहे हैं। स्वामी का कहना था कि नजीब जंग कांग्रेस के इशारों पर केजरीवाल को उकसा रह हैं जिससे बीजेपी को ही सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा था। स्वामी की माने तो नजीब जंग सोनिया गाँधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल से मार्गदर्शन भी लेते हैं।
कहा जा रहा है की स्वामी के इन आरोपों को बीजेपी के कुछ नेताओं के साथ साथ संघ का भी पूरा समर्थन था। हालाँकि बीजेपी के कुछ नेताओ को लग रहा था कि जिस तरह से दिल्ली की राजनीति में एलजी केजरीवाल के खिलाफ जा रहे हैं, वह केंद्र सरकार के मुताबिक़ सही है। लेकिन जिस तरह अरविन्द केजरीवाल ने एलजी पर आरोप लगाया कि वह केंद्र के इशारों पर चल रहे हैं और उन्हें काम नही करने दे रहे हैं उससे जनता में केजरीवाल के प्रति सहानुभूति पैदा हुई। सुप्रीम कोर्ट ने भी खुद एलजी पर कड़ी टिप्पणी की थी।
ख़बरों की माने तो संघ के अंदर लगातार इस बात का जिक्र हो रहा था कि भले नजीब जंग केजरीवाल से टकरा रहे हों लेकिन सिर्फ इस आधार पर एलजी पर भरोसा नही किया जा सकता। संघ का कहना था कि दिल्ली में नजीब जंग को कांग्रेस ने ही नियुक्त किया था। इसलिए यह बात सही है कि वह कांग्रेस की शह पर केजरीवाल को उकसा रहे हैं। संघ को लगता था कि इस पद पर कोई अपना आदमी होना चाहिए। खुद संघ के पास कई ऐसे लोगों के नाम आ रहे थे जो उसकी विचारधार के लोग हैं।