नई दिल्लीः मोदी सरकार समान नागरिक संहिता लागू करने की तैयारी में है। मगर इसी सरकार में विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर के बारे में एक अहम खुलासा हुआ है। वह यह कि अकबर ही वह शख्स हैं जो कि मुस्लिम महिलाओं की बेहतरी की दिशा में सुप्रीम कोर्ट के सबसे साहिसक फैसले को राजीव गांधी से दोस्ती के बदौलत बदलवा चुके हैं। जी हां जब 23 अप्रैल 1985 को सुप्रीम कोर्ट ने शाहबानो के पक्ष में फैसला सुनाते हुए आदेश दिया था कि आईपीसी की धारा 125 जो तलाकशुदा महिला को पति से भत्ते का हकदार बनाता है, मुस्लिम महिलाओं पर भी लागू होता है, क्योंकि सीआरपीसी की धारा 125 और मुस्लिम पर्सनल लॉ के प्रावधानों में कोई विरोधाभास नहीं है। मगर तब मुस्लिम संगठनों ने शरिया हस्तक्षेप को मुद्दा बनाकर जमकर विरोध शुरू किया। हंगामे पर एमजे अकबर ने राजीव गांधी से मुलाकात कर सरकार से कोर्ट के इस सबसे चर्चित फैसले को बदलवा दिया था। नतीजा रहा कि कठमुल्लाओं से मोर्चा लेते हुए सुप्रीम कोर्ट से जीतकर भी शाहबानो जैसी पीड़ित महिला राजनीति से हार गई थी। 1986 के इस विवादित मामले में राजीव गांधी की तत्कालीन सरकार ने मुस्लिम महिला(तलाक अधिकार संरक्षण) अधिनियम पारित कर मोहम्मद खान बनाम शाह बानो मामले में सर्वोच्च अदालत के 23 अप्रैल 1985 को दिए फैसले को पलट दिया
पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त ने किया खुलासा
पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त हबीबुल्लाह ने एक इंटरव्यू में एमजे अकबर को लेकर यह खुलासा किया है। हबीबुल्लाह तब पीएमओ में अल्पसंख्यक मुद्दों को देखा करते थे। हबीबुल्ला कहते हैं कि... एक दिन मैने प्रधानमंत्री राजीव गांधी के चेंबर में प्रवेश किया तो पत्रकार एमजे अकबर बैठे हुए थे। हबीबुल्लाह के मुताबिक दोनों की बातचीत सुन महसूस किया कि एमजे अकबर राजीव गांधी को सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटने के लिए राजी कर ले गए। इसके पीछे राजीव के सामने उन्होंने तर्क रखा था कि अगर शरिया कानून में दखलंदाजी से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले में केंद्र सरकार हस्तक्षेप नहीं करती है तो देश में संदेश जाएगा कि प्रधानमंत्री राजीव मुस्लिम समुदाय को अपना नहीं मानते।
कांग्रेस के सांसद रह चुके एमजे अकबर
देश के शीर्ष पत्रकार रहे एमजे अकबर राजीव गांधी के काफी करीबी रहे। पत्रकार के दम पर राजीव से नजदीकियां बढ़ाईं तो 1989-91 में बिहार के किशनगंज से कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने। बाद में कांग्रेस के प्रवक्ता भी रहे। जब 2014 में भाजपा सरकार बनी तो थोड़े समय बाद दल और मोदी पर दिल बदलते हुए एमजे अकबर ने पीएम मोदी से हाथ मिलाया। बदले में मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में एक और मुस्लिम चेहरा बढ़ाते हुए विदेश राज्यमंत्री का तोहफा दिया। यहां बता दें कि कभी गुजरात दंगों को लेकर एमजे अकबर मोदी की कड़ी आलोचना कर चुके हैं। मगर कांग्रेस में तवज्जो न मिलने पर हालात ने उन्हें उसी मोदी की टीम में खड़ा कर दिया।
राजीव के फैसले पर लोगों की प्रतिक्रियाओं वाले पत्रों का लगा ढेर
हबीबुल्ला याद करते हुए कहतचे हैं कि जब मैं पीएमओ में बतौर निदेशक अल्पसंख्यक मामलों की टेबल संभालता था तो उस वक्त शाह बानो प्रकरण खूब चर्चा में रहा। जब सुप्रीम कोर्ट ने शाहबानो के हक में फैसला दिया तो तो उसके विरोध में हर दिन सैकड़ों पत्र आते थे। पूरे टबल पर ऐसी याचिकाओं और पत्रों का अंबार लगा मिलता था। तब मैंने पत्र लिखने वालों को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का सुझाव दिया। मगर किसी ने सुझाव नहीं माना।