लखनऊ:मोदी का कांग्रेस मुक्त भारत का सपना लोक सभा चुनाव 2019 में पूरा अवश्य नहीं होगा पर देश के नक़्शे पर कांग्रेस हाशिये पर जरूर आ जायेगी। गिनती के चार संसद जो संसद सत्र के दौरान संसद में या बाहर देश की जनता को संबोधित करते हुऐ सभ्यता और शालीनता का परिचय देते है ,सही भाषा का प्रयोग करते है,उन्हें छोड़कर अन्य किसी के जीतने की कोई उम्मीद नहीं है।
कांग्रेस के ऐसे सांसद या प्रवक्ता चाहे पुरुष हो या महिला टी वी चैनलों आदि पर सदा अमर्यादित भाषा का प्रयोग करते है ।कांग्रेस के प्रवक्ता सदैव पार्टी का स्तर निरंतर गिराते जा रहे है। यदि इन प्रवक्ताओं को सुधारा जाये या पार्टी से अलग किया जाये तब भी कांग्रेस को पुनः राजनीती की दौड़ में आने के लिए 10-15 वर्ष का समय लग सकता है।
कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व हो या निचले स्तर का नेता अनुशाशन हीनता से बाज नहीं आता है।उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में करारी शिकस्त के बाद गोवा में दिग्विजय सिंह के आचरण से क्षुब्ध कांग्रेसी विद्यायक द्वारा कांग्रेस के साथ साथ विधान सभा की सदस्यता से त्याग पत्र देना इस बात का प्रमाण है कि निकट भविष्य में कांग्रेस का अस्तित्व समाप्त होने वाला है।
विधान सभा चुनावो में करारी हार का कोई असर कांग्रेस के स्टार प्रचारक एवं उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर न होना कांग्रेस कार्यकर्ताओ को हैरान कर रहा है।राहुल ने स्वंम इसकी जिम्मेदारी अभी तक नहीं ली है ।आजतक चैनल पर एक संवाद में भाजपा के प्रवक्ता संविद पात्रा ने सुकन्या के साथ किये गये बलात्कार का मुद्दा उठाकर सनसनी फैला दी है। इस चिनगारी को यदि हवा मिल गई तो शायद राहुल् गांधी का भारत में रहना भी दुष्वार हो सकता है। संवाद में बैठी कांग्रेस प्रवक्ता सुकन्या को बुला कर आरोप को पुष्ट कराने की मांग करती रही जिससे यह तो स्पस्ट हो रहा था कि बलात्कार जैसी कोई घटना घटित जरूर हुई है और उससे राहुल को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ऐसे संवादों को भी सं ज्ञान में लेकर प्रकरण की जांच के आदेश भी पारित कर सकता है ।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को कुछ चाटुकार काग्रेसी नेता अध्यक्ष बनवाने के लिये प्रयासरत है । इसके विपरीत अधिकांश कट्टर कांग्रेसी नेता नेहरू परिवार के अलावा किसी अन्य को कांग्रेस की कमान सौपने के पक्ष में है । इन कट्टर कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि नेहरु परिवार के अधीन् कांग्रेस रूपी शरीर की हालत दिन पर दिन गिरती चली जा रही है । मृतयु शय्या पर पड़ी कांग्रेस की आत्मा शरीर से बहार निकलने में चद दिनों का ही फासला है i कांग्रेस का अस्तित्व समाप्त होने से बचने के लिए यह माकूल समय है कि कांग्रेस उपाद्यक्ष राहुल गाँधी कांग्रेस का जनाजा निकलने से पूर्व कांग्रेस छोड़कर राजनीती से संन्यास ले ले i
वर्तमान में कांग्रेस राजनीती में राहुल गाँधी एक ऐसा चेहरा है जिसे युवा और वृद्ध तो दूर बच्चे भी देखना पसंद नहीं करते i रैली ओर रोड शो में परिवार के परिवार राहुल गाँधी को एक जोकर के रूप में देखने जाते है ओर घर वापस आकर बच्चे जोकर के रूप में उनकी नकल करते है i चुनावी नतीज़ों से भी यह प्रमाणित होता है ।
कांग्रेस को यह गलत फहमी होती जा रही है कि राहुल के आने पर इतने अधिक मतदाता जुटते है कि क्षेत्र के उम्मीद्वार की सीट पक्की है, पर होता इसके विपरीत है i इन सब बातों का निर्णय 11 मार्च 12017 को पूरा देश देख चुका है। जहाँ तक यूपी में सपा से गठबंधन का प्रश्न है 103 सीटो में से कॉग्रेस को मात्र 7 सीट पर सफलता मिली है। इसके साथ ही गठबंधन से अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी का भी सफाया कर दिया।
वर्तमान में राजनीति सत्यता और ईमानदारी की राजनीति होती है। झूठ,लूट ,घसोट और भ्रष्टाचारी नेताओ को जनता सिरे से नकारती है चाहे वो किसी भी पार्टी का हो। कांग्रेस में ऐसे नेताओं की कमी है जो आज की राजनीति में खरे उतर सके। 2G,3G और 4G जैसे घोटाले सुनते और देखते जनता त्रस्त हो चुकी है ।अतः ऐसे वातावरण को देखते हुए यह उचित समय है कि यदि 10-15 साल बाद कांग्रेस की स्थिति सुधारनी है तो राहुल गांधी सहित सभी भ्रष्ट और कटुवाणी वाले कांग्रेसी नेताओ को राजनीति से संन्यास लेकर अलग होना पड़ेगा ।