दबाकर गांव मे दशरथ पांचवी पढने के बाद वहाँ के प्रतिष्ठित चिकित्सक के यहां सहायक के रुप में कां करने लगा। कुछ वर्षों के बाद जब चिकित्सक का निधन हो गया तो खुद बतौर डाक्टर प्रेक्टिस करने लगे। जिसमें उन्हें बहुत सफलता भी मिली। पर कुछ वर्षों बाद उनके ही अधकचरे ज्ञान के कारण उनकी पोती की मौत हो गई। जिसके लिये खुद को दोषी मानते हुए वे डाक्टरी त्याग कर सन्यास ले लेते हैं।
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