नई दिल्ली : वर्ष 2010-11 से वर्ष 2015-16 के बीच भारत के 20 राज्यों के सरकारी स्कूलों में नामांकन लेने वाले छात्रों की संख्या में 1.3 करोड़ की कमी हुई है। जबकि निजी स्कूलों ने 1.75 करोड़ नए छात्रों का नामांकन हुआ है। यह जानकारी एक नए अध्ययन में सामने आई है, जो भारत के सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली पर सवाल खड़े करती है।
चीन के मुकाबाले भारत के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों का वेतन औसतन चार गुना अधिक है। पांच वर्षों के दौरान, सरकारी स्कूलों में औसत नामांकन प्रति स्कूल 122 से गिरकर 108 हुआ है। जबकि निजी स्कूलों में यह 202 से बढ़कर 208 हो गया है। यह जानकारी लंदन के इन्स्टटूट ऑफ एजुकेशन में शिक्षा और अंतरराष्ट्रीय विकास की प्रोफेसर और लखनऊ में एक निजी संस्था सिटी मोंटेसरी स्कूल की अध्यक्ष गीता गांधी किंगडॉन द्वारा मार्च 2017 के शोध पत्र से है।
शिक्षा के लिए जिला सूचना प्रणाली (डीआईएसई) और शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, इन 20 राज्यों में स्कूल जाने वाले 65 फीसदी विद्यार्थियों ने (11.3 करोड़) सरकारी स्कूलों में ही अपनी शिक्षा को जारी रखा है।
आखिर क्यों भारत के छात्र शिक्षा के लिए सरकारी स्कूल से बाहर हो रहे हैं और बहुत ज्यादा फीस लेने वाले निजी स्कूलों की ओर रुख कर रहे हैं?
यहां यह जान लेना भी जरूरी है कि सरकारी स्कूलों में 14 साल की उम्र तक गरीब और कमजोर वर्ग के छात्रों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है।
डीआईएसई डेटा के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि सरकारी स्कूल छोड़ने वाले छात्रों के माता-पिता का मानना है कि सरकारी स्कूलों की तुलना में निजी स्कूलों में पढ़ाई अच्छी होती है।
गांधी कहती हैं, “छात्रों के घर की पृष्ठभूमि के कई मूल्यांकन संकेत देते हैं कि निजी स्कूलों में बच्चों के सीखने का स्तर खराब नहीं हैं और सरकारी स्कूलों की तुलना में अध्ययन बेहतर हैं। ”
सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) पर 1.16 लाख करोड़ रुपए (17.7 बिलियन डॉलर) खर्च करने के बावजूद वर्ष 2009 से वर्ष 2014 के बीच सीखने की गुणवत्ता में कमी आई है जैसा कि इंडियास्पेंड ने मार्च 2016 में विस्तार से बताया है।
भारत में पांच प्राथमिक विद्यालय शिक्षकों में से एक से कम प्रशिक्षित हैं। इस संबंध में भी इंडियास्पेंड ने मई 2015 में विस्तार से बताया है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में, जो प्रति व्यक्ति आय के मामले में देश का सबसे अमीर शहर भी है, सरकारी स्कूलों में आधे से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति संविदा पर की गई है।