उम्र महज 10 साल। मगर ओहदा-पुलिस महानिरीक्षक(आइजी) का। जब सानिया आईजी की वर्दी पहनकर ऑफिस पहुंची तो दफ्तर के सभी खाकीवाले लाइन में लगकर सलामी देने लगे।
सानिया का सपना आईजी ने किया पूरा
सानिया जन्म से ही दृष्टिहीन है। दोनों किडनियां जवाब दे चुकी हैं। अस्पताल के बिस्तर से ही इस इस दिव्यांग बच्ची ने पुलिस के चेहरे पर मुस्कान बिखेरने के लिए आईजी ने उसे कुछ घंटे के लिए अपनी कुर्सी पर बैठाने की पहल की। क्योंकि सानिया बड़ी होकर पुलिस अफसर बनना चाहती है। आईजी प्रदीप गुप्ता की पहल पर सानिया को आईजी की वर्दी पहनाकर उनकी कुर्सी पर बैठाया गया। यह देख सानिया खिलखिलाकर हंस पड़ी। यही हंसी सभी पुलिसवाले उसके चेहरे पर देखना चाहते थे।
गंभीर बीमारी से जूझ रही मगर हौसला अपार
सानिया अस्पताल के बिस्तर पर है। किडनियां जवाब दे चुकी हैं, आंखों में रोशनी भी नहीं है। मगर हौसले से भरी हुई है। पढ़ाई का मौका कभी नहीं छोड़ती। हर रोज पढ़ाई करती है। कोई पूछता है कि क्या बनोगी तो बोलती है कि पुलिस अफसर। जब आईजी को सानिया की ख्वाहिश का पता चला तो वे उसे वर्दी पहनाकर नीली बत्ती से आफिस ले आए। फिर आईजी की कुर्सी पर बैठाया।
नीली बत्ती से पहुंची 10 साल की सानिया ऑफिस और बैठी आईजी की कुर्सी पर तो पुलिसवालों ने ठोंकी सलामी