नई दिल्ली : नीति आयोग ने प्रधानमंत्री कार्यालय से अनुरोध किया है कि दिल्ली मेट्रो के किराए बढ़ा दिए जाएँ। कहा गया है कि पछले सात साल से मेट्रो किराये में बढ़ोतरी नही की गई है जबकि 2009 से बिजली के दामों में 90 फीसद का इजाफा हुआ है और मेट्रो के परिचालन लागत में भी 30 फीसद की वृद्धि हुई है। नीति आयोग के वाईस चैयरमेन अरविन्द पनगरिया ने प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव नृप्रेंद्र मिश्रा को को एक पत्र लिखा। जिसमे कहा गया है कि फिलहाल दिल्ली मेट्रो में अधिकतम किराया 30 रुपये हैं, जिसे बढ़ाकर 50 रुपये किया जाए।
मेट्रो कॉरपोरेशन पहले ही किराया बढ़ाने के लिए दिल्ली सरकार के साथ केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय को पत्र लिख चुका है। खत में इस बात का जिक्र किया गया है कि पिछले साल साल से मेट्रो के किराए में इजाफ नहीं किया गया है। आंकड़ों के अनुसार 2015-16 में डीएमआरसी 708.5 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा उठाना पड़ा है।
बढ़ोतरी के पीछे मेट्रो का कहना है कि मैंटेनेंस कॉस्ट, ऑपरेशनल कॉस्ट और स्टाफ के वेतन-भत्ते काफी बढ़ गए हैं। पिछले साल सितंबर महीने में गठित कमेटी ने सुझाव दिया था कि मेट्रो के किराए में न्यूनतम 8-10 और अधिकतम किराए में 30-50 रुपये की वृद्धि की जाए। वहां, राजनीति क कारणों से केंद्र और दिल्ली की आम आदमी पार्टी ने मेट्रो किराए में इजाफे का समर्थन नहीं किया।
मेट्रो का कहना है कि जापान की जैका (Jaica) कंपनी से डीएमआरसी ने हजारों करोड़ का ऋण लिया हुआ है। इसके अलावा और भी लोन हैं। जिनके भुगतान के लिए आय बढ़ाना जरूरी हो गया है। मेट्रो का यह भी कहना है कि उसके मुनाफे में कमी आई है।