पटना : सीएम नीतीश के शराबबंदी करने के बाद बिहार में पूरी तरह से राज्य में पॉजिटिव नतीजे सामने आने शुरू हो गए हैं. जी हां आपको बता दें राज्य में सड़क दुर्घटनाओं के मामलों में 60 प्रतिशत कमी नोटिस की गई है. टाइम्स ऑफ इंडिया को मिले अप्रकाशित डेटा के अनुसार, 2015 में यहां सड़क दुर्घटनाओं में 867 लोगों की मौत हुई थी, 2016 में यह संख्या 326 हो गई.
बिहार में रोड ऐक्सिडेंट्स में कमी के मामले ऐसे समय में सामने आ रहे हैं जब देश इस बात पर चर्चा कर रहा है कि क्या वाकई शराब बैन करने से सड़क हादसे कम होंगे. ये नतीजे तब सामने आए हैं जब नैशनल और स्टेट हाइवे के 500 मीटर के दायरे में शराब की दुकानों पर पाबंदी से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर केंद्र और राज्य सरकारें, दोनों ही पशोपेश में हैं.
बिहार पुलिस के सूत्रों ने कहा कि शराबबंदी ने वाकई सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं और मौतों की संख्या को कम कर दिया है। बिहार में 2016 में सड़क दुर्घटनाओं में 2015 की तुलना में 541 मौतें कम दर्ज की गई हैं। इस कमी का कारण राज्य में शराब की बिक्री पूरी तरह से बैन होना माना जा रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) की रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में सड़क दुर्घटनाओं की मुख्य वजह शराब पीकर गाड़ी चलाना है। संपन्न देशों में 20% लोग शराब पीकर गाड़ी चलाते हुए पाए गए जबकि मध्यम आय वाले देशों में 69% लोग ड्रंक ड्राइविंग करते हुए पाए गए।
कम प्रवर्तन, प्रशिक्षित लोगों की कमी होने और गैजट्स की कमी होने के कारण भारत में आधिकारिक रूप से ड्रंक ड्राइविंग के कम मामले दर्ज होते हैं। 2015 में प्रकाशित एक डेटा के अनुसार केवल 16,298 सड़क हादसों का कारण ड्रंक ड्राइविंग बताया गया, ऐल्कॉहॉल के कारण ही 6,755 जानें गईं। रिपोर्ट यह भी कहती है कि भारतीय सड़कों पर शराब पीकर गाड़ी चलाना एक आम बात है, इसलिए पुलिस से मिले डेटा पर एक्सपर्ट अक्सर सवाल खड़े करते हैं।
रोड सेफ्टी एक्सपर्ट रोहित बलूजा ने कहा,'बिहार में सड़क दुर्घटानाओं में मौतों की कमी को सराहना मिलनी चाहिए। हालांकि, दुर्घटाओं की सायंटिफ़िक जांच नहीं की गई है। यह डेटा अविश्वसनीय है। दुर्घटनाओं का सही कारण जानने के लिए हमें प्रॉपर जांच करनी होगी।'
सड़क सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा होने के कारण मोटर वीइकल लॉ में सुधार के लिए पहली बार शराब पीकर गाड़ी चलाते हुए पकड़े जाने पर 10 हजाए रुपए और दूसरी बार पकड़े जाने पर 15 हजार रुपए फाइन वसूलने का नियम प्रस्तावित किया गया है।