लखनऊ : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात से व्याकुल लालू प्रसाद यादव ने एक दिन बाद ही सोनिया गांधी से मिलने की घोषणा कर दी है।
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने आज कहा कि वह भी भाजपा के खिलाफ मजबूत विपक्षी एकता के लिए जल्दी ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे।इस मुलाकात के बारे में कई प्रकार के अनुमान लगाए जा रहे है।लालू यादव से बिना बताए सोनिया गांधी से मिलने के नीतीश का राज़ क्या है,लालू स्वम सोनिया से जानने का प्रयास करेंगे।
राजनीति क हलकों में नीतीश और सोनिया की मुलाकात को, 2019 के लोक सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के विरुद्ध सभी, विपक्षी दलों का महागठबंधन बनाकर भाजपा को मात देने की नज़र से देखा जा रहा है,परन्तु प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में किसे नेता घोषित किया जाए इस पर सभी बड़े विपक्षी दल एक नही हो पा रहे है।
महागठबंधन के प्रश्न पर कांग्रेस अध्य्क्ष सोनिया गांधी तभी सहयोग कर सकती है जब राहुल गांधी का चेहरा प्रधान मंत्री के पद की दावेदारी के लिऐ तय किया जाये। इधर बिहार में चल रही गठबंधन की पूरी सरकार में, कांग्रेस को छोड़कर, सभी घटक यह चाहते है कि प्रधान मंत्री पद के लिए नीतीश कुमार को ही पेश किया जाये। नीतीश कुमार को पेश करने में लालू यादव के परिवार का भी स्वार्थ सिद्ध होता है क्योंकि बिहार में मुख्य मंत्री का पद रिक्त होने से लालू के पुत्र और बिहार के उप मुख्य मंत्री के भाग्य खुल जाएंगे और फिर बिहार में लालू की "पौ बारह" होगी।
समझा जाता है कि सोनिया गांधी राहुल के नाम से कतई समझौता करने को राजी नही है ऐसे में "शकुनि मामा"की तरह लालू ही कोई पांसा फेककर सोनिया को रास्ते पर लाने का काम कर सकते है।
लालू ने यह भी कहा है कि हम निश्चित रूप से मौजूदा राजनीतिक हालात की बात करेंगे और भाजपा के विरद्ध धर्मनिरपेक्ष तथा समाजवादी पार्टियों के बीच मजबूत एकता स्थापित करने के तरीकों पर ही विचार-विमर्श करेंगे। भाजपा के राजनीतिक उत्थान को रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर बिहार की तरह महागठबंधन जरूरी है।
ज्ञात हो कि नीतीश कुमार ने दो दिन पूर्व दिल्ली में सोनिया से मुलाकात की थी । समझा जा रहा है कि उन्होंने भाजपा से मुकाबले के लिए विपक्षी दलों की एकता पर जोर दिया था। इस मुलाकात में जदयू की ओर से राष्ट्रपति चुनाव के लिए संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार को उतारने की भी बात सामने आ रही है।विपक्ष का सयुक्त उम्मीदवार कौन हो सकता है,निश्चित रूप से कांग्रेस किसी अपने शातिर खिलाड़ी को आगे कर सकती है।
लालू प्रसाद यादव राजनीति के एक मजबूत और मंझे हुए खिलाड़ी है,उनके दिल और दिमांग में क्या है कोई नही समझ सकता।महागठबंधन बनने की दशा में विपक्ष की तीसरी बड़ी शक्ति के रूप में बंगाल से ममता बनेर्जी को नही भूला जा सकता,पर कांग्रेस की प्रतिद्वंद्वी होने के कारण गठबंधन में उनका सम्मिलित होना संधिक्त लगता है।
अब आने वाले समय मे सोनिया और लालू की मुलाकात के बाद ही महागठबंधन के गठन की स्थिति साफ हो सकती है।ऐसे में जब कांग्रेस के भीतर राहुल का विरोध उठने लगा है,लालू अपनी चतुर चाल में सफल भी हो सकते है।